राजेश कुमार,खोदावंदपुर/बेगूसराय। भारत समेत दुनिया के कई देशों में 1 मई को मजदुर के रूप में मनाया जाता है. 1 मई यानी मजदूर दिवस हर साल उस मेहनत को याद करने का दिन है, जिस पर हमारी पूरी दुनिया की नींव टिकी है. उपरोक्त बातें ज्ञानोदय "ए कैरियर आँरियेण्टेड पब्लिक स्कूल छौड़ाही के निदेशक सह प्रधानाचार्य अंजेश कुमार ने कही. निदेशक सह प्रधानाचार्य ने कहा कि कोई बड़ी इमारत हो, लंबी सड़कें हों अथवा खेतों की हरियाली, इन सबके पीछे किसी ना किसी मजदूर के पसीने की कहानी होती है. उन्होंने कहा कि मजदूर दिवस की शुरुआत 19 वीं सदी के मजदूर आंदोलन से हुई थी. जब श्रमिकों ने अपने लंबे वर्क ऑवर और खराब परिस्थितियों के खिलाफ आवाज उठाई थी. उन्होंने कहा कि 1886 में शिकागो (अमेरिका) में श्रमिकों ने आठ घंटे के कार्यदिवस की मांग को लेकर हड़ताल की थी. 4 मई को हेमार्केट स्क्वायर में हुये प्रदर्शन में कई लोग मारे गये थे, जिसे 'हेमार्केट अफेयर’ कहा जाता है. उन्होंने मजदुर दिवस की महत्ता के बारे में कहा कि 1889 में पेरिस में अंतर्राष्ट्रीय समाजवादी सम्मेलन ने 1 मई को अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस के रूप में मान्यता दी. इसका मकसद था. हेमार्केट के शहीदों को श्रद्धांजलि देना और दुनियाभर के श्रमिकों को एकजुट करना. इस अवसर पर ज्ञानोदय के श्रमिक आशा कुमारी, शंकर महतो, रेखा देवी सहित अन्य लोगों को अंगवस्त्र एवं फल प्रदान कर सम्मानित किया गया.1 मई 2008 को ही ज्ञानोदय की स्थापना भी की गयी थी. बच्चों ने भी श्रमिक दिवस और विद्यालय स्थापना दिवस के अवसर पर विचार व्यक्त किये. कार्यक्रम में शिक्षक अजय कुमार, अवनीत कुमार, रमेश कुमार साहु, ज्ञानी कुमार, दीपक कुमार, गौतम प्रकाश, पंकज कुमार, मो.फुलहसन, हरि नारायण प्रसाद, विनय कुमार कर्ण, लुसी कुमारी, मनीषा कुमारी समेत शिक्षक बच्चे मौजूद रहे.