राजेश कुमार,खोदावन्दपुर/बेगूसराय। रासायनिक कीटनाशक दवा के छिड़काव से दर्जनों एकड़ में लगा गेहूं का फसल जलकर नष्ट हो गया. इसकी जानकारी बेगूसराय जिला के मटिहानी प्रखंड क्षेत्र से आये किसानों ने शुक्रवार को कृषि विज्ञान केंद्र खोदावन्दपुर पहुंचकर वैज्ञानिकों एवं पत्रकारों को दिया. किसानों ने बताया कि गेहूँ फसल जलने में दवा कारण नहीं है और ना ही दवा का कोई दोष है. दोष है हम किसानों का. किसानों ने कम पानी में दवा का घोल बनाकर छिड़काव किया. दवा का मात्रा अधिक होने से फसल जलकर नष्ट हो गया. मटिहानी प्रखंड क्षेत्र के सिरनिया विष्णुपुर निवासी गेहूं उत्पादक किसान आशुतोष राय, दिलीप राय, नीतीश राय, अरविंद राय एवं अन्य किसानों ने बताया कि इन लोगों का शाम्हो दियारा में खेती-बड़ी है. यह सभी किसान अपने खेत में गेहूं बोये हुये हैं. पिछले दिनों टू फोर डी नामक दवा से अपने गेहूं के फसलों पर छिड़काव किया था. दियारा में पानी की उपलब्धता कम होने के कारण इन लोगों ने कम पानी में दवा का घोल बनाकर फसलों पर छिड़काव किया. छिड़काव करने के बाद इनका गेहूं का फसल जलकर नष्ट हो गया. सभी किसान जले हुये गेहूं पौधा का नमूना लेकर 17 जनवरी को कृषि विज्ञान केंद्र खोदावंदपुर आये हुये थे. देखने के पश्चात कृषि विज्ञान केंद्र के वरीय वैज्ञानिक सह प्रधान डॉ राम पाल ने उनको बताया कि इसमें दवा का दोष नहीं है. कम पानी में दवा का घोल बनाकर छिड़काव करने से फसल नष्ट हुआ है.
वैज्ञानिकों ने गेहूँ उत्पादक किसानों को दिया आवश्यक सलाह-
ऐसी गलती भविष्य में किसान ना करें, किसानों को सावधान करते हुए कृषि वैज्ञानिक डॉ राम पाल ने उनको आवश्यक सलाह दिया है. टू फोर डी दवा का घोल बनाते समय यह याद रखें की एक बीघा में 100 से 125 लीटर पानी में दवा का घोल बनाकर फसलों पर छिड़काव करें. अन्यथा आपका फसल नष्ट हो जाएगा. जो फसल पूरी तरह नष्ट हो गया, वहां दूसरे फसलों की खेती किसानी करें. वैसा खेत जहां दवा का छिड़काव किए हैं. गेहूं का पौधा अभी पीला पड़ रहा है तो उन खेतों में 50 ग्राम चीनी और 10 ग्राम यूरिया को प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर फसलों पर छिड़काव करें. ऐसा करने से जो फसल अभी पिला हुआ है, उसको बचाया जा सकता है.
वैज्ञानिक ने दुकानदारों को भी दिया सुझाव-
खोदावंदपुर कृषि विज्ञान केन्द्र के वरीय वैज्ञानिक सह प्रधान डॉ राम पाल ने कीटनाशक विक्रेता दुकानदारों को भी सलाह दिया है और कहा कि आपके दुकान पर कोई किसान यदि कीटनाशक खरीदने के लिए आते हैं तो उनको ऐसा सुझाव दें, कम पानी में कभी भी दवा का छिड़काव नहीं करें.