खोदावंदपुर/बेगूसराय। खोदावंदपुर थाना परिसर में सोमवार को थानाध्यक्ष मिथिलेश कुमार ने जनप्रतिनिधियों व गणमान्य लोगों की बैठक कर भारतीय संसद से पारित तीन नये आपराधिक कानून की जानकारी दी. उन्होंने बताया कि एक जुलाई 2024 से लागू नये कानून में मानव अधिकारों व मूल्यों को केंद्र में रखा गया है.थानाध्यक्ष ने कहा कि नये कानून में अब भारतीय दंड संहिता 1860 की जगह भारतीय न्याय संहिता 2023 तथा दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 होगा, इन कानून में दंड की जगह न्याय पर विशेष बल दिया गया है. उन्होंने कहा कि नये कानून में विशेष रूप से मॉबलिचिंग की घटनाओं में दोषी व्यक्ति को उम्रकैद या फिर मृत्युदंड का प्रावधान किया गया है. साथ ही उन्होंने कहा कि 18 वर्ष से कम उम्र अर्थात नाबालिक बच्ची के साथ होने वाले सामुहिक बलात्कार के दोषियों को उम्रकैद या फिर मृत्युदंड का प्रावधान किया गया है. थानाध्यक्ष ने बताया कि नए कानून में डिजिटल तौर पर एफआईआर, नोटिस, संमन, ट्रायल, रिकॉर्ड, फाॅरेंसिक, केश, डायरी एवं बयान आदि को संग्रहित किया जायेगा. नए आपराधिक कानून के तहत अब पीड़ित व्यक्ति घटनास्थल या उससे परे कहीं से भी एफआईआर दर्ज करवा सकते हैं, लेकिन उसे तीन दिनो के अंदर थाना में जाकर आवेदन पर हस्ताक्षर करना होगा. साथ ही पीड़ित एफआईआर की एक प्रति निःशुल्क प्राप्त करने के हकदार हैं. पुलिस द्वारा पीड़ित को 90 दिनों के अंदर जांच की प्रगति के बारे में सूचित करना अनिवार्य है. महिला अपराध की स्थिति में 24 घंटे के अंदर पीड़िता की सहमति से उसकी मेडिकल जांच की जायेगी तथा 7 दिनों के अंदर चिकित्सक उसकी मेडिकल रिपोर्ट भेजेंगे. अभियोजन पक्ष की मदद के लिए नागरिकों को खुद का कानूनी प्रतिनिधित्व करने का अधिकार है. बीएस की धारा 396 एवं 397 में पीड़ित को मुआवजे और मुफ्त इलाज का अधिकार दिया गया है. बीएस की धारा 398 के अंतर्गत गवाह संरक्षण योजना का प्रावधान है. केस वापसी के पहले न्यायालयों को पीड़ित की बात सुनने का अधिकार दिया गया है. कोर्ट में आवेदन करने पर पीड़ितों को ऑर्डर की निःशुल्क कॉपी प्राप्त करने का अधिकार मिला है. कानूनी जांच, पूछताछ और मुकदमे की कार्यवाही को इलेक्ट्रॉनिक रूप से आयोजित करने का प्रावधान है. न्याय प्रणाली में टेक्नोलॉजी पर जोर दिया गया है.क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम के सभी चरणों का डिजिटल रूपांतरण किया गया है, जिसमें इ-संमन, इ-नोटिस, इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेज प्रस्तुत करना और इ-ट्रायल शामिल है. अब अदालतों में इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य को फिजिकल एविडेंस के बराबर माना जायेगा. कानून के तहत सेकेंडरी एविडेंस का दायरा बढ़ा दिया गया है, इसमें मौखिक एवं लिखित स्वीकारोक्ति और दस्तावेज की जांच करने वाले कुशल व्यक्ति का साक्ष्य शामिल है. उन्होंने कहा कि तलाशी और जब्ती की वीडियोग्राफी की जायेगी. महिलाओं और बच्चों के साथ होने वाले अपराध से निपटने के लिए नये आपराधिक कानून में 37 धाराओं को शामिल किया गया है. 18 वर्ष से कम उम्र की लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार करने पर दोषी को आजीवन कारावास या मृत्यु दंड की सजा मिलेगी. झूठे वादे या नकली पहचान के आधार पर यौन शोषण करना अब अपराधिक कृत्य माना जायेगा. चिकित्सकों के लिए 7 दिनों के अंदर बलात्कार पीड़िता की मेडिकल रिपोर्ट जांच अधिकारी के पास भेजना अनिवार्य है. उन्होंने कहा कि छीनाझपटी (स्नैचिंग) एक गंभीर और नॉन बेलेबल (गैर-जमानती) अपराध माना गया है.भारत की एकता, अखंडता, संप्रभुता, सुरक्षा व आर्थिक सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करने या किसी समूह में आतंक फैलाने के लिए किए गए कृत्यों को आतंकवादी गतिविधि मानी जायेगी. अब राजद्रोह की जगह देशद्रोह शब्द का इस्तेमाल किया गया है, जिसमें भारत की एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाली आपराधिक गतिविधि शामिल है.मॉबलिंचिंग करने पर अब दोषियों को मृत्युदंड की सजा मिलेगी. नये कानून में संगठित अपराधी को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है. त्वरित न्याय एक तय समय सीमा के अंदर न्याय दिलाने के लिए बीएनएस में 45 धाराओं को जोड़ा गया है. किसी भी मामले पर पहली सुनवाई शुरू होने के 60 दिनों के अंदर आरोप तय किये जायेगें. आरोप तय होने के 90 दिन बाद घोषित अपराधियों की अनुपस्थिति में भी कानूनी कार्यवाही (अभियोजन) शुरू हो जायेगी.अभियोजन के लिए मंजूरी, दस्तावेजों की आपूर्ति, प्रतिबद्ध कार्यवाही, डिस्चार्ज याचिका को दाखिल करना, आरोप तय करना, निर्णय की घोषणा और दया याचिकाओं को दाखिल करना निर्धारित समय सीमा के भीतर पूरा करना अनिवार्य किया गया है. आपराधिक कार्यवाही में कोर्ट को दो से अधिक स्थगन देने की अनुमति नहीं है. अपराधिक न्याय प्रणाली में भी बदलाव किए गए हैं, अब मजिस्ट्रेट को तीन वर्ष तक के कारावास की सजा वाले मामलों में समरी ट्रायल करने का अधिकार है.किसी भी अपराधी का अदालत में मुकदमे के समापन के बाद निर्णय की घोषणा में 45 दिनों से अधिक समय नहीं लगेगा. थानाध्यक्ष ने बताया कि अब 107 की जगह 126 तथा 302 की जगह 102 धारा के रूप में भी बदले जाने की बात बतायी. मौके पर प्रखंड प्रमुख संजू देवी, उपप्रमुख नरेश पासवान, एसआइ अंजली भारद्वाज, एएसआई मनीर हुसैन, अमरजीत कुमार सिंह, बरियारपुर पश्चिमी पंचायत के प्रभारी मुखिया राकेश रामचंद महतो, प्रखंड राजद अध्यक्ष जियाउर रहमान उर्फ सैफी, पूर्व मुखिया टिंकू राय, अनिल कुमार, कृष्ण देव चौधरी, भाजपा नेता अवनीश कश्यप, घनश्याम कुमार, हरेराम सिंह, रवीन्द्र कुमार, वार्ड सदस्य गोपाल गुप्ता, पंसस प्रतिनिधि नवीन कुमार, मनीष कुमार सिंह, मदन सहनी, चन्द्रदेव सहनी, योगेन्द्र चौधरी समेत अनेक लोग मौजूद थे.