खोदावंदपुर,बेगूसराय। लोकसभा चुनाव का बिगुल फूंका जा चुका है. बेगूसराय लोकसभा क्षेत्र से इस चुनावी मैदान में प्रत्याशियों के कूदने का दौर जारी है. एक ओर एनडीए गठबंधन ने यहां से निवर्तमान सांसद व पूर्व केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह को फिर से अपना प्रत्याशी बनाया है, जबकि इंडिया महागठबंधन की घटक सीपीआई ने पार्टी के कद्दावर नेता व पूर्व विधायक अवधेश कुमार राय को अपना उम्मीदवार बना दिया है.वहीं राष्ट्रीय कर्पूरी जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व विधान पार्षद राम बदन राय भी इस चुनावी जंग में कूद पड़े हैं. अभी और प्रत्याशियों के इस चुनावी समर में कूदने की पूरी संभावना है. इस परिस्थिति में बेगूसराय लोकसभा का चुनाव काफी दिलचस्प होने वाला है. इस चुनाव को लेकर खोदावन्दपुर प्रखंड क्षेत्र के चौक चौराहों पर चुनावी चकल्लस शुरू हो गया है. लोग चुनाव के मुद्दे पर चर्चा करते नजर आ रहे हैं. निवर्तमान सांसद गिरिराज सिंह चर्चा के मुख्य बिंदु बने हुए हैं. यहां के मतदाता खुलकर कुछ बोलने से परहेज कर रहे हैं, परन्तु आम वोटरों का कहना है कि बेगूसराय लोकसभा क्षेत्र से चुनाव जीतकर संसद में पहुंचने वाले निवर्तमान सांसद गिरिराज सिंह ने पिछले पांच साल में खोदावंदपुर की जनता का हालचाल पूछना भी मुनासिब नहीं समझें. खोदावंदपुर का अपेक्षित विकास नहीं हुआ. यहां के लोगों का कहना है कि खोदावंदपुर अत्यंत पिछड़ा बाहुल्य प्रखण्ड है. विगत लोकसभा चुनाव में यहां सभी पंचायतों में भाजपा प्रत्याशी गिरिराज सिंह को वोट में अन्य प्रत्याशियों से काफी बढ़त मिली थी, परन्तु निवर्तमान सांसद ने अपनी शानदार जीत की खुशी में आम जनता के दुख दर्द को ही भुला दिया, यहां के वोटरों का कहना है कि गिरिराज सिंह को दुबारा वोट देना पसंद नहीं है, क्योंकि स्थानीय सांसद अपने पांच वर्षों के कार्यकाल से जनता को अवगत नहीं करा रहे हैं, केवल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कार्यकाल को जनता के बीच एनडीए गठबंधन के कार्यकर्ताओं को भेजकर उसे जागरूक कर रहे हैं. बुजुर्ग मतदाताओं ने बताया कि सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर ही भाजपा के प्रत्याशी गिरिराज सिंह को वोट मिलेगा. वहीं दूसरी ओर कुछ वोटरों का कहना है कि इस बार का चुनाव परिणाम एकतरफा नहीं होने वाला. यहां कड़ा मुकाबला हो सकता है. अधिकांश वोटरों का कहना है कि राजनीति में नेता कभी भी पलटी मार देते हैं. पलटी मारने के बाद कहते हैं कि राजनीति में सबकुछ जायज होता है. ऐसे में नेता पर ज्यादा भरोसा उचित नहीं. कोई जीते कोई हारे, इससे हमें मतलब नहीं. कुछ वोटरों का कहना है कि सत्ता जिसकी भी हो, लेकिन विरोधी का होना भी अत्यंत ही जरूरी है. पहली बार मतदान में भाग लेने वाले युवा मतदाताओं में चुनाव को लेकर काफी उत्साह देखा जा रहा है. ऐसे युवाओं का कहना है कि जो रोजगार देगा उसी के पक्ष में वोट करेंगे. चुनावी इस चकल्लस का प्रतिफल भविष्य में चाहे जो भी हो, परन्तु विकास के साथ- साथ जनप्रतिनिधियों का व्यवहार का आंकलन भी चुनावी चर्चा में शामिल है.