Chhaurahi/Begusarai. आधुनिक भारत के निर्माताओं में से एक स्वामी विवेकानंद ने एक हारे हुये और मरणासन्न समाज में आत्मसम्मान और उत्साह की भावना का संचार किया था. एक ऐसा महापुरुष जिसने आधुनिक भारत की पटकथा आज से 160 वर्ष पहले ही लिख दी थी. उपरोक्त बाते ज्ञानोदय "ए कैरियर ओरिएंटेड पब्लिक स्कूल" छौड़ाही के निदेशक सह प्रधानाचार्य अंजेश कुमार ने स्वामी विवेकानंद की जयंती के मौके पर कहीं. उन्होंने कहा कि उन्नीसवीं सदी के उत्तरार्ध में सबसे ज्यादा सक्रिय उर्जावान व्यक्तियों में विवेकानंद भी एक थे. उन्होंने कहा कि सिर्फ भाषण देने से काम नहीं चलेगा, बल्कि हम संकल्प लें कि विवेकानंद के सद्गुणों की एक भी पंक्ति अपने जीवन में उतार सके तो हम अपने समाज, राज्य और राष्ट्र को सर्वशक्तिमान बना सकते हैं. प्रधानाचार्य श्री कुमार ने कहा कि विवेकानंद एक ऐसे धर्म के अनुयायी होने गौरव अनुभव करते थे, जिन्होंने संसार को सहिष्णुता और सार्वभौम की स्वीकृति दी. उन्होंने कहा कि स्वामी जी ने उठो, जागो और तब तक नहीं रुको जब तक लक्ष्य की प्राप्ति ना हो जाये, जितनी स्पष्ट और ओजस्विता के साथ कहा, जिसे पहले किसी ने कभी नहीं कहा था. उन्होंने कहा कि हम उनके बताये सिद्धांतों एक भी अक्षर अपने जीवन में पालन कर लें, तो हमें आगे बढ़ने से कोई रोक नहीं सकता. विद्यालय के निदेशक के साथ शिक्षकों ने भी उनके तैल चित्र पर पुष्प अर्पित कर उनके बताये मार्ग पर चलने का संकल्प लिया. वहीं विद्यालय के छात्र-छात्राओं ने स्वामी विवेकानंद के जीवन और चरित्र पर प्रकाश डालते हुये बारी-बारी से अपना विचार व्यक्त किया. इस अवसर पर सहायक शिक्षक अजय कुमार, अवनीत कुमार, पंकज कुमार, गौतम प्रकाश, अंकित कुमार, रविश कुमार, सुशील कुमार, मोहम्मद फुलहसन, रमेश कुमार साहु, ज्ञानी कुमार, करण कुमार, दीपाजंली कुमारी, मनीषा कुमारी एवं लुसी कुमारी समेत अन्य मौजूद थे.