खोदावंदपुर/बेगूसराय। कृषि और पशुपालन भारतीय अर्थ व्यवस्था का मेरुदंड है. कृषि और पशुपालन के क्षेत्र में स्वरोजगार की असीम संभावनाएं हैं, उसी में से एक है बेसहारा पशुओं का पुर्नवास. उपर्युक्त बातें कृषि विज्ञान केन्द्र खोदावन्दपुर के वरीय वैज्ञानिक सह प्रधान डॉ रामपाल ने दी. उन्होंने बताया कि गांव और शहर में बड़ी संख्या में बेसहारा पशु इधर-उधर सड़क पर, कार्यालय परिसर, गली मुहल्ला में घूमते रहता है. किसानों के खुटा पर भी ऐसे जानवर होते हैं, जो गाभ नहीं रखते. दूध नहीं देते, ऐसे मवेशी किसानों को बोझ लगते हैं. इस तरह के पशुओं को किसानों से मांग कर अथवा बेसहारा पशुओं को सड़कों से पकड़ कर उसका पालन पोषण करते हैं. इससे उनको एक अच्छा खासा आमदनी हो सकता है. इकोनॉमिक्स ऑफ स्ट्रे कैटल मैनेजमेंट के द्वारा आर्थिक सहायता एवं अनुदान भी प्रदान किया जाता है. केंद्रीय राजेंद्र कृषि विश्वविद्यालय पूसा, समस्तीपुर के निदेशक प्रसार शिक्षा डॉक्टर एम एस कुंडू के मार्गदर्शन में कृषि विज्ञान केंद्र खोदावंदपुर के वरीय वैज्ञानिक सह प्रधान इस योजना को अपने केंद्र पर पहली बार अनुसंधान के तौर पर शुरू किया.डॉ राम पाल ने आर्थिक मदद के लिए विश्व विद्यालय के माध्यम से पशु प्रबंधन सस्थान को एक सौ बेसहरा पशुओं का पालन पोषण के लिए याचना किया था. संस्थान ने प्रथम बार सोलह पशु के लिए सहमति प्रदान किया. केंद्र ने कार्य योजना शुरू किया. वैसे पशु जो किसानों के लिए बोझ थे संस्थान उनसे दूध, बच्चा, गोबर, गोमूत्र से लाखों रुपये का मुनाफा कमाया है. केंद्र ने उन पशुओं में विद्यमान रोगों का उपचार कर सही देख रेख किया, पशु स्वस्थ हुए. गाभ रखा, बच्चा और दूध भी दी. जिसको दुग्ध समिति में बेचकर आमदनी कर रहा है. गोमूत्र से जैविक कीटनाशक बना कर उसको बेच कर लाभ कमा रहा हैं. पशुचारा का कचरा और गोबर से जैविक खाद तैयार कर उसको बेच कर लाभकारी मूल्य कमा रहा है. जानवरों का दूध, गोमूत्र, जैविक खाद, जैविक कीटनाशक से प्राप्त आय को केंद्र के चक्रीय खाता में जमा किया जाता है. उस राशि से पशुशेड, उनकी दवा, मजदूरों का मजदूरी खर्च करने के बाद जो राशि बचता है, उसको संस्था के सुरक्षित कोष में जमा किया जाता है तथा इस राशि से केंद्र में विकास कार्य किया जाता है.
किसानों का प्रशिक्षण-
बेसहारा पशुओं के पुर्नवास के बारे में युवा किसानों का दर्जनों ट्रेनिंग केंद्र में कराया गया है, जिससे सैकड़ों किसान प्रशिक्षित हुए हैं. केंद्र भ्रमण को आने वाले किसानों और पशुपालको को भी इस डेयरी को दिखाया जाता है और बेसहारा पशुओं के पुर्नवास से कैसे लाभ कमाया जा सकता है, उसके बारे में विस्तार से बताया गया है. केंद्र के बाहर भी हमारे वैज्ञानिक इस बात को किसानों में प्रचार प्रसार करते हैं, ताकि लोग इसका लाभ उठा सकें.
केभीके खोदावंदपुर इस काम से गत वर्ष एक लाख सैतालिस हजार नौ सो अठत्तर रुपये 80 पैसा शुद्ध लाभ कमा चुकी है. गरीब और बेरोजगार युवाओं के लिए स्वरोजगार का यह सशक्त माध्यम बन सकता है.
डॉ राम पाल, वरिय वैज्ञानिक सह प्रधान, कृषि विज्ञान केन्द्र खोदावंदपुर, बेगूसराय.