खोदावन्दपुर: हाथ में पौधा देखकर जिस युवा को शादी के मंडप से भगा दिया, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस युवा के कार्यों के मुरीद होकर ट्वीट के माध्यम से कार्यों का किया सराहना*

राजेश कुमार, खोदावन्दपुर/बेगूसराय। शादी के मंडप में बतौर उपहार पेड़ ले जाने के लिए कभी जिस युवा को अपमानित करके निकाल दिया जाता था, आज ऐसे लोग ही इन युवा के पैरों में पड़कर खुद चलकर आज पर्यावरण संरक्षण की इनकी मुहिम में साथ दे रहे हैं.
ये युवा हैं बिहार के समस्तीपुर जिले के ढरहा गांव के लाल और ऑक्सीजन मैन के नाम से दुनियाभर में परचम लहराने वाले पर्यावरण सांसद व ग्लोबल एनवायरनमेंट एंड क्लाइमेट चेंज लीडर राजेश कुमार सुमन जो ऑक्सीजन बचाओ हरित यात्रा कैंपेन के माध्यम से देशवासियों को ऑक्सीजन बचाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं और अब तक 74 हजार किमी की यात्रा कर बेटियों के सम्मान में डेढ़ लाख से ज्यादा पौधे लगा चुके हैं. वहीं सैकड़ों गांवों को ग्रीन विलेज और इको विलेज के रूप में विकसित कर रहे हैं.
राजेश सुमन की पेड़ लगाने की शुरुआत तो बाल्य अवस्था में ही हो गयी थी, जब इनके पिता द्वारा लायी गयी एक पुस्तक में इन्होंने पढ़ा कि धरती पर 33 प्रतिशत वन होना चाहिए, जो कि मात्र 21 प्रतिशत ही है. बस तभी इनको लगा कि पर्यावरण के लिये कार्य करना चाहिए. वहीं इनके परिवार और गांव में ये भी माना जाता है कि किसी भी खास मौके पर घर का सबसे बड़ा बच्चा पौधा लगायेगा तो पौधा जल्दी बढ़ता है. इसलिए घर के सबसे बड़े बेटे होने के कारण ये जनेऊ, मुंडन, जन्मदिन ऐसे मौकों पर पौधे लगाने लगे.अब इनकी रुचि भी इस कार्य में बढ़ने लगी और दूसरों के यहां शादी समारोहों में भी अब ये उपहार स्वरूप पौधा ही देने लगे हैं.
शुरू में उपहार के रूप में पौधा भेंट करने पर इनका मजाक उड़ाया जाता था और कुछ लोग इन्हें पागल भी कहते थे-
कितनी बार ऐसा हुआ जब इस कारण ये रात- रात भर रोये, लेकिन फिर दूसरे दिन उसी ऊर्जा के साथ कार्य करने लगते. इन्हें समझ नहीं आ रहा था कि लोगों को कैसे इसके प्रति जागरूक किया जाये. आखिर इन्होंने लोगों को आकृष्ट करने के लिये नये प्रयोग किये और अपनी पीठ पर पानी के जार में पौधा रखकर व नाक पर ऑक्सीजन मास्क लगाकर शहर के नुक्कड़ व चौराहों पर निकलना शुरू किया तो कभी गले में पर्यावरण संरक्षण के स्लोगन की तख्ती डालकर अपनी बात रखने लगे. अब पिछले छह साल से राजेश सुमन बिहार के बाहर झारखंड, दिल्ली, राजस्थान, मध्यप्रदेश छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश के अलावे दूसरे राज्यों के हजारों गांवों में भी ऑक्सीजन बचाओ यात्रा कर चुके हैं और इन गांवों में जहां भी बेटियां हैं, उनसे उन्हीं के घर के आगे आम का पौधा लगवाते हैं. ताकि बेटी के विदा होने पर भी बेटी की याद में उस पौधे की देखरेख की जा सकें.
इस विषय पर राजेश सुमन हंसते हुए एक वाकया सुनाते हैं कि एक घर में बेटी नहीं थी तो उस परिवार ने किसी और की लड़की को अपनी बेटी बनाकर इनसे पौधा लगवा लिया और जब उस लड़की का वास्तविक परिवार भी पेड़ लगवाने के लिये इनके पास आया तो तब पता चला कि लोग पेड़ लगवाने के लिये कितना जागरूक हो चुके हैं. बिना किसी फंड और आर्थिक सहायता के ये अपने ही पैसों से अकेले ही इस डगर पर देश भर में यात्रा करते हैं. शुरू में बिना किसी उचित व्यवस्था के यह कार्य बहुत मुश्किल था, लेकिन राजेश कहते हैं कि अब तो लोग सोशल मीडिया के माध्यम से इनसे जुडने लगे हैं और खुद ही अपने अपने गांवों में पेड़ लगवाने के लिये आमंत्रित भी करने लगे हैं. आज इनके प्रयासों से बिहार के दूसरे जिलों बेगूसराय, दरभंगा, मधूबनी, चंपारण व मुजफ्फरपुर में भी एक तरह पर्यावरण संरक्षण के लिए क्रांति आ चुकी है. और अब तो लोग शादी के आमंत्रण पत्रों पर भी बंजर भूमि करे पुकार, पेड़ लगाकर करो श्रृंगार जैसे पर्यावरण संरक्षण के स्लोगन लगाने लगे हैं.
वहीं यहां के युवा भी जन्मदिन और शादी के सालगिरह पर केक काटने के बजाय पौधारोपण करने लगे हैं। इस कार्य के अलावा राजेश सुमन गांव की बेटियों और कामकाजी महिलाओं को प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी के लिए समस्तीपुर में ग्रीन पाठशाला बीएसएस क्लब चलाते हैं और यहां आने वाली हर बेटी से फीस के रूप में 18 पौधे लगवाते हैं, क्योंकि इनका मानना है कि एक आदमी अपने पूरे जीवन में अठारह पौधों की ऑक्सीजन ग्रहण कर लेता है और अगर अब भी लोग जागरूक नहीं हुये तो वह दिन दूर नहीं, जब लोगों को ऑक्सीजन खरीदनी पड़ेगी. बिहार शौर्य सम्मान से सम्मानित राजेश कुमार सुमन बिना किसी मान सम्मान की चाह के जमीन पर कार्य करने में विश्वास रखते हैं, लेकिन अब इनके इस नेक और निस्वार्थ कार्य के लिये इन्हें बड़ी पहचान मिल रही है और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ट्वीटर के माध्यम से कार्यों का सराहना किए हैं. इसके अलावे बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, रक्षा वैज्ञानिक मानस बिहारी वर्मा जैसे लोग भी इन्हें सम्मानित कर चुके हैं.