छौड़ाही/बेगूसराय। कहते हैं कि गरीबी ऐसा अभिशाप है कि चाहकर भी अच्छे अभिभावक और बच्चे कुछ नहीं कर पाते हैं, लेकिन गरीबी में भी हिम्मत हौसला लगन और संघर्ष की क्षमता हो तो सफलता में गरीबी बधा नहीं बन सकती है. ऐसी ही कहानी है छौड़ाही प्रखंड के सांवत पंचायत अंतर्गत छौड़ाही गाँव निवासी नवीन कुमार की.जिसने नीट की परीक्षा में क्वालीफाई कर डाँक्टर बनने की राह पर एक नजीर पेश किया है. अत्यंत ही गरीब परिवार में जन्म लिये नवीन कुमार को तब एक बड़ा झटका लगा जब बचपन में उनके पिता सुखदेव शर्मा घर के एकमात्र कमाउ सदस्य दौलतपुर- मालीपुर मुख्य पथ पर गढ़पुरा थाना क्षेत्र के नटियाही डीह के निकट 25 अक्टुबर 2006 को तीखे मोड़ पर बाईक से दुर्घटनाग्रस्त होकर कमर के नीचे का भाग काम करना पुरी तरह से बंद कर दिया था. पिता सुखदेव शर्मा विगत 17 वर्षों से बिछावन पर जिन्दगी से जंग लड़ रहें हैं, उसके बाद नवीन की माता रूकमणी देवी ने परिवार की कमान संभाली. उसके बाद से पति और बच्चों को संभालने से लेकर पढ़ाई तक की जिम्मेवारियों का बोझ और उपर से महज विवाह के चंद वर्षों में ही घर बाहर निकलकर पारिवारिक समस्याओं को सुलझाने के प्रयास में मेहनत मजदुरी करने के साथ- साथ घर पर छोटा व्यापार के माध्यम से आगे बढ़ाने में लगी रही. इस बीच छौड़ाही बाजार स्थित सुप्रसिद्ध ज्ञानोदय "ए कैरियर आँरियेण्टेड पब्लिक स्कूल के निदेशक सह प्रधानाचार्य अंजेश कुमार ने बाल्यकाल में नवीन कुमार का नामंकन मुफ्त में करने का निर्णय लिया. मंहगाई में निजी विद्यालय का यह कदम शायद विद्यालय परिवार को यह महसुस नहीं होगा कि नवीन आगे चलकर इतनी बड़ी सफलता हासिल कर ना सिर्फ विद्यालय ही नहीं, बल्कि गाँव, समाज, जिला और प्रदेश में इतिहास रच सकेगा, लेकिन नवीन ने हिम्मत नहीं हारी और वक्त ऐसा आया कि वही नवीन आज नीट क्वालीफाई कर छौड़ाही गाँव में इकलौता डाँक्टर बनने की राह पर सफलता हासिल कर लिया. नवीन बताते हैं कि प्रारंभिक शिक्षा ज्ञानोदय से प्राप्त किया. मैट्रिक की परीक्षा में नवीन ने 296 अंक प्राप्त कर 59.2 प्रतिशत अंक हासिल किया. हलांकि मैट्रिक परीक्षा परिणाम के बाद परिवार में थोड़ी सी मायुसी जरूर आयी, लेकिन नवीन ने हार नहीं मानी. उसने इंटरमीडिएट परीक्षा में सीमावर्ती क्षेत्र समस्तीपुर जिला के रोसड़ा अनुमंडल अंतर्गत युआर काँलेज से 397 अंक प्राप्त कर 79.4 प्रतिशत हासिल कर उतीर्ण हुआ. उसके बाद आगे की तैयारी करनी थी, लेकिन दुर्भाग्य से गरीबी में जन्म लिये नवीन के लिये किसी बड़े शहर में रहकर नीट की तैयारी करने की स्थिति नहीं थी. नवीन बताते हैं कि फिर हमने फैसला किया कि घर से ही रहकर नीट की तैयारी ऑनलाईन करनी है. कुछ दिन मोबाईल से युट्यूब के जरिये ऑनलाईन नीट की तैयारी प्रारंभ की थी, लेकिन यह भी नाकाफी था. बाद के दिनों में नवीन ने माता रूकमणि देवी से एक एलईडी टीभी घर में लगाने का अनुरोध किया. पारिवारिक स्थिति अच्छी नहीं होने के कारण एलईडी टीभी भी लगा पाना मुश्किल था. नवीन की माता बताती हैं कि बच्चे के संघर्ष और लगनशीलता को देखकर अपने गले का सोने की लाँकेट बाजार में बेचकर एलईडी टीभी खरीदकर लायी और फिर नवीन उससे ऑनलाईन पढ़ना प्रारंभ किया. जब नीट के लिये आवेदन करने का वक्त आया तो नवीन ने फॉर्म भरकर परीक्षा की तैयारी में जुट गया. नवीन बताते हैं कि 07 मई 2023 को केन्द्रीय विद्यालय समस्तीपुर में परीक्षा केन्द्र पहुँचकर परीक्षा में शामिल हुआ. नवीन बताते हैं परीक्षा के बाद जब आकलन किया तो उसे महसुस हो गया कि वह क्वालीफाई जरूर करेगा और जब परिणाम 13 मई 2023 को नीट का परिणाम घोषित हुआ तो नवीन ने 715 में 630 अंक प्राप्त कर 87.5 प्रतिशत के साथ नीट क्वालीफाई कर छौड़ाही गाँव में इकलौता डाँक्टर बनने की राह आसान कर लिया. परिणाम आने के साथ ही माता-पिता के साथ विद्यालय परिवार और क्षेत्र में प्रसन्नता की लहर दौड़ गयी. ज्ञानोदय के निदेशक सह प्रधानाचार्य अंजेश कुमार अपने छात्र की सफलता पर उदगार व्यक्त करते हुये कहा कि यह एक सुखद और अद्भुत पल है. जब कक्षा प्रथम में नामांकित छात्र नवीन ने ना सिर्फ विद्यालय परिवार बल्कि गाँव, समाज, परिवार, जिला और राज्य में अपने बुलंद प्रतिभा का लोहा मनवाकर साबित कर दिया कि गरीबी में जन्म लेना अभिशाप नहीं है, बल्कि संघर्ष हिम्मत हौसला और दृढ़ इच्छाशक्ति हो तो मंजिल पाने में गरीबी बाधक नहीं बन सकती है. जब यह पुछा गया कि आप निःशुल्क शिक्षा के साथ कॉपी ड्रेस किताब तक नवीन को उपलब्ध कराया. आखिर इसमें आपको क्या दिखाई दिया. निदेशक श्री कुमार बताते हैं कि अभी भी छौड़ाही के 68 बच्चे विद्यालय में निःशुल्क पढ़ रहें हैं. जब समाज में विद्यालय है और गरीब मेधावी बच्चे अत्यधिक फीस के कारण प्राईवेट विद्यालय में नहीं पढ़ पा रहें हो. वैसी स्थिति में विद्यालय परिवार की भी जिम्मेवारी है कि ऐसे बच्चों को इस लायक बनाया जाय, ताकि भविष्य में वह आभाव का बहाना बनाकर समाज पर दोषारोपण नहीं कर सके. इसी गरीबी में से नवीन भी है. जो वैसे तमाम अभिभावकों और छात्र-छात्राओं के लिये प्रेरणा हैं. जो यह कहते नहीं थकते कि बच्चा तेज तो है पर गरीबी के कारण आगे नहीं बढ़ पा रहा हैं. विद्यालय के निदेशक ने सफल छात्र नवीन के घर पहुँचकर मिठाई खिलाया और उसे बधाई दी. नवीन की सफलता पर ज्ञानोदय के सहायक शिक्षक अजय कुमार, अवनीत कुमार, पंकज कुमार, मोहम्मद फुलहसन, रमेश कुमार साहु, गौतम प्रकाश, अभिषेक कुमार, भोला कुमार विशवकर्मा, सुशील कुमार, रविश कुमार, लुसी कुमारी, मनीषा कुमारी ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुये सफल छात्र को बधाई और शुभकामनाएं दी है.