खोदावंदपुर/बेगूसराय। हवन करने से पर्यावरण के साथ आम लोगों का आचरण भी शुद्ध होता है. यज्ञ शब्द जज धातु से सिद्ध होता है. इसका अर्थ होता है देव पूजा, संगतीकरण और दान. इस आसार संसार में आयोजित होने वाले सब्बि श्रेष्ठकर्म को यज्ञ कहा जाता है.उपर्युक्त बातें यज्ञ के व्यवस्थापक रामकृष्ण शरण ने शुक्रवार को खोदावन्दपुर पंचायत के मुसहरी गांव में नौ दिवसीय नवाह महायज्ञ के समापन के मौके पर कहीं. उन्होंने कहा कि यज्ञ को अग्निहोत्र, देवयज्ञ, होम, हवन, उध्वर भी कहते हैं. यज्ञ में पवित्र मंत्रोच्चार के साथ यज्ञ में हवन करने से पर्यावरण के साथ आमलोगों का आचरण भी शुद्ध होता है. यज्ञकर्ता श्री शरण ने कहा कि यज्ञ के दौरान हवनकुंड में ढेर सारा औषधियुक्त पदार्थ धूपबत्ती के साथ सुगन्धित केसर, अगर, तगर, गुग्गल, कपूर, चंदन, घी, तिल, जौ, इलाइची, लौंग, जायफर, जावित्री समेत औषधियुक्त सामग्री डाला जाता है, जिसके जलने से वायुमंडल में सुगंधित वायु का संचार होता है. जो पर्यावरण को शुद्ध करने में मदद करता है. वहीं यज्ञ आयोजन के दौरान यज्ञ क्षेत्र की साफ सफाई और यज्ञ में शालीनता के सात लोगों के शिरकत करने से उनके व्यवहार में बदलाव, पवित्रता के साथ मन की शुद्धि होती है, जिससे उसके आचरण में बदलाव होता है. पवित्र व शुद्ध मन से कभी गलत काम हो नहीं सकता है, इसलिए धर्मकर्म, यज्ञ आदि का करना चाहिये.
22 फरवरी से हो रहा था सीताराम नवाह महायज्ञ-
खोदावंदपुर पंचायत के मुसहरी गांव में विगत 22 फरवरी से अविनाश ट्रेडर्स के प्रोपराइटर रामकृष्ण शरण के द्वारा विद्वान पंडित गंगेश ठाकुर, मुरली माधव, दिगम्बर कुमार, संजय झा वैदिक, वेदानंद झा, इन्द्रकांत झा पाठक, कृष्ण भूषण झा, विनय झा एवं दीपक झा के मंत्रोच्चार के साथ अपने निवास स्थान स्थित नवनिर्मित मंदिर परिसर में श्री श्री 108 सीताराम महायज्ञ का आयोजन किया गया. शुक्रवार की शाम हवनोपरांत भव्य कलश विसर्जन शोभायात्रा के साथ नवाह महायज्ञ संपन्न हो गया. विसर्जन शोभायात्रा में राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान और जटायु की मनमोहक भव्य झांकी के साथ सैकड़ों श्रद्धालुओं ने भाग लिया. गाजे बाजे के साथ कलश विसर्जन शोभायात्रा निकाली गयी, जो यज्ञ स्थल से मुसहरी गांव का भ्रमण करते हुए गौरवद्धा टोला, खोदावंदपुर गांव होते हुए मुसहरी तालाब में कलश विसर्जन किया गया. नवाह महायज्ञ के सफल संचालन में मुखिया शोभा देवी, पूर्व मुखिया राम पदार्थ महतो, ग्रामीण युगेश्वर महतो, हरेराम महतो, तेज नारायण महतो, महेश महतो, राज कुमार महतो, भूषण महतो, पवन महतो, केशव महतो, अश्वनी महतो, राजेन्द्र महतो, बाल कृष्ण महतो, राम ध्यान महतो, मानवेन्द्र महतो, हृदय नारायण, अरुण कुमार, अनिल कुमार वर्मा, राम स्वार्थ महतो, शंभु महतो, राम उद्गार महतो, नीरज कुमार, राकेश कुमार, संजय महतो के अलावे अन्य ग्रामीणों ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.