छौड़ाही/बेगूसराय। एक तरफ जहां देश और प्रदेश में सरकारी नीतियों के कारण घटती नौकरियों के कारण उच्च शिक्षा प्राप्त कर छात्र- छात्राएं और उनके अभिभावक बच्चों के बेरोजगारी का दंश झेल रहे हैं. वहीं पढ़ाई के दबाव और नौकरियों के आभाव में हताश निराश युवाओं को प्रायः आत्महत्या कर लेने जैसी खबरें आती रहती है. ऐसे में छौड़ाही प्रखंड के हेडक्वार्टर पंचायत की लब्धप्रतिष्ठित ज्ञानोदय "ए कैरियर आँरिएण्टेड पब्लिक स्कूल" ने एक अनूठी पहल की है. अब प्रारंभिक कक्षा से ही विद्यालय के छात्र-छात्राओं को रूचि के अनुसार व्यवसायिक ट्रेनिंग की व्यवस्था की गयी है. इसकी शुरुआत भी विद्यालय ने कर दी है. इसका दूसरा पहलू यह भी है कि बच्चों में स्कील डेवलपमेंट हो और वह स्वयं आत्मनिर्भर होकर नौकरियों की तलाश करने के बजाय रूचि के अनुसार व्यपार कर खुद भी अपने पैरों पर खड़ा हो सकें तथा जरूरत के मुताबिक पढ़े लिखे शिक्षित बेरोजगार के लिए रोजगार के अवसर प्रदान कर सकें. विद्यालय के इस प्रयास से बच्चों में भी उत्साह देखा जा रहा है और बच्चे रूचि के अनुसार इस ओर कदम बढ़ाना भी शुरू कर दिया है.
सिलाई, कढ़ाई, पेंटिंग, पापड़, तिलौरी, कारपेंटिंग, कम्प्यूटर उपकरण से लेकर कई तरह के व्यवसायिक ट्रेनिंग की हो रही व्यवस्था-
विद्यालय ने प्रारंभिक दौड़ में सिलाई, कढ़ाई, पेटिंग के लिए ट्रेनर की व्यवस्था करने के साथ ही मशीन भी विद्यालय में लगाया है. इसके अलावा पापर, तिलौरी, कारपेंटिंग, पार्ट्स से कमप्यूटर सीपीयु कसने की योजना, वेस्टेज सामाग्री से दैनिक उपयोग में आनेवाले छोटे सामाग्रियों का निर्माण करने से लेकर हर वो जरूरत की सामाग्रियों को बनाने की व्यवस्था की जायेगी, जिसको स्थानीय से लेकर उच्च स्तर तक के बाजारों में भेजा जा सकेगा और बच्चों को स्वयं निर्मित सामाग्रियों का मूल्य भी मिल सकेगा. विद्यालय प्रबंधन वैसे हर प्रकार के मशीन और उपकरण की समय- समय पर खरीदारी कर व्यवसायिक शिक्षा को नयी धार देने की कवायद में जुट गया है.
पढ़कर अभिभावकों पर बोझ नहीं, बल्कि बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने के साथ सम्मान पूर्वक जीवनयापन करने के लायक बनाने का लक्ष्य-
विद्यालय प्रबंधन का मानना है कि बढ़ती जनसंख्या और सीधे डिग्रियां लेकर सरकारी नौकरी के भरोसे इंतजार में रहने के आदतों और मानसिकता को निकालने के उद्देश्य से बचपन से ही छात्र-छात्राओं को ऐसी ट्रेनिंग दे दी जाय, जिससे बड़े होकर उन्हें ऐसा महसूस और शर्मिंदा नहीं होना पड़े कि इस काम को हम कैसे करें. जब यह वहम समाप्त होगा तो बच्चे स्वयं आत्मनिर्भर होने लगेगें और सम्मान पूर्वक जीवनयापन करने के लिए अपने रूचि के अनुसार व्यवसाय कर सकेगें. विद्यालय प्रबंधन का उद्देश्य है कि जिनके माता- पिता काफी दिक्कतों का सामना करके पढ़ाते हैं और वह आगे चलकर कुछ नहीं कर पाता है तो कम से कम विद्यालय में इतनी ट्रेनिंग मिल जाय कि वह पढ़ाई के साथ पार्ट टाईम कुछ काम करके स्वयं इनकम कर सकें और आगे अपनी पढ़ाई को भी जारी रख सके.
व्यवसायिक ट्रेनिंग के लिए हर विभाग से रखे जायेंगें ट्रेनर-
व्यवसायिक ट्रेनिंग के लिए बच्चों के रूचि के मुताबिक हर विभाग से ट्रेनर को रखा जायेगा. इसकी शुरूआत विद्यालय प्रबंधन की ओर से शुरू कर दी गयी है. सिलाई, कढ़ाई, पेंटिंग के लिए ट्रेनर को नियुक्त किया गया है. वहीं मशीन विद्यालय में लगाया जा चुका है. जरूरत के अनुसार और भी उपकरण लागाए जाने की तैयारी विद्यालय प्रबंधन कर रही है.
कहते विद्यालय के प्रधानाचार्य सह निदेशक-
कोई भी सरकार हो, नौकरियां सभी के लिए मुश्किल है. हमारे गाँव के ही कच्चा मेटेरियल से दूसरे प्रदेश की फैक्ट्रियों से बाजार में दैनिक उपयोग की वस्तुओं को भेजा जाता है. इसलिए हमलोगों ने तय किया कि बच्चों को रूचि के अनुसार क्यों नहीं अभी से व्यवसायिक ट्रेनिंग की व्यवस्था कर दी जाय, जिससे बच्चे आत्मनिर्भर हो सकें और वे इस लायक हो जाएं कि ना सिर्फ उन्हें सरकारी नौकरियों पर निर्भर होना पड़े, बल्कि दूसरों के लिए रोजगार के अवसर प्रदान किया जा सकें. विद्यालय ने यह पहल शुरू की है, उम्मीद है कि अभिभावकों का भी सकारात्मक सहयोग मिल सकेगा.
अंजेश कुमार, प्रधानाचार्य सह निदेशक- ज्ञानोदय, छौड़ाही