खोदावंदपुर/बेगूसराय। समाज कल्याण विभाग द्वारा संचालित समेकित बाल विकास परियोजना कार्यालय खोदावन्दपुर परिसर में शनिवार को बच्चों के समग्र विकास को लेकर क्षेत्र की आंगनबाड़ी सेविकाओं को एक दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया. आयोजित कार्यक्रम की जानकारी देते हुए सीडीपीओ डॉ दर्शना कुमारी ने बताया कि प्रारंभिक बाल्यावस्था शिक्षा (ईसीसीई) के तहत नो कोस्ट, लॉ कोस्ट के जरिए खिलौना बनाने के बारे में विस्तार से चर्चा की. उन्होंने कहा कि बाल्यावस्था जीवन से ही बच्चों में उत्साहवर्धक, रचनात्मक, सकारात्मक बौद्धिक विकास होना शुरू हो जाता है. सीडीपीओ ने कहा कि बाल विकास, मानव विकास की नींव एवं विकास का आधारशिला है. देश में समेकित बाल विकास सेवाएं योजना लोगों को आधारभूत व्यवस्था प्रदान करती है. बाल विकास परियोजना द्वारा दी जाने वाली सेवाओं से बच्चो में सकारात्मक बदलाव करने का माहौल तैयार होता है. उन्होंने बताया कि बुनियादी व्यवस्था विशेषकर आंगनबाड़ी केंद्रों द्वारा सक्रिय भूमिका अदा किया जाता है. कार्यालय परिसर में सेविकाओं को नौ ग्रुपों में बांटकर कम खर्च पर टीएलएम टीचिंग लर्निंग मेटेरियल से खिलौने बनाने की कला बतायी गयी. प्रशिक्षण के दौरान सीडीपीओ ने घर में वेस्ट पड़े सामान जैसे- रुमाल, रंगीन पेपर, कपड़े का कतरन, बेकार पड़े मौजा, स्वेटर, कार्टून, रस्सी समेत अन्य सामग्रियों से आंगनबाड़ी सेविकाओं से शिक्षाप्रद खिलौने गुड्डा- गुड़िया, बॉल, कौआ मैना, तोता, खरगोश बनवायी. साथ ही सेविकाओं को प्यास कौआ, कछुआ और खरगोश की शिक्षाप्रद कहानियां व बालगीत खिलौने का प्रदर्शन करते हुए सुनायी. उन्होंने बताया कि आंगनबाड़ी केंद्रों पर शिक्षारत कुछ बच्चों में रोने की आदत होती है या फिर बच्चे बोर हो जाते है. इस तरह की एक्टिविटी से सेविकाओं द्वारा बनाये गये खिलौने से बच्चे खेलने लगता है. इससे बच्चों में रचनात्मक कला का वर्धन होता है. साथ ही सेविकाओं को अपने अपने केंद्रों पर केंद्र संचालन के दौरान इस तरह की एक्टिविटी प्रतिदिन करने की बातें कहीं. सीडीपीओ ने प्रशिक्षण के दौरान सेविकाओं को आगामी 19 दिसंबर को अपने अपने केंद्रों पर अन्नप्राशन करने व 20 दिसंबर को सभी पंजियों को संधारित करते हुए अपने पोषक क्षेत्र के वार्ड सदस्यों की अध्यक्षता में सामाजिक अंकेक्षण करवाने का निर्देश दिया. मौके पर पर्यवेक्षिका उषा कुमारी, वरीय प्रधान लिपिक मार्तण्डनाथ ठाकुर के अलावे प्रखंड क्षेत्र की दर्जनों आंगनबाड़ी सेविकाएं मौजूद थी.