खोदावंदपुर: सामाजिक सौहार्द का प्रतीक है चलकी गांव का दुर्गा मंदिर। यहां हिन्दू के अलावे मुस्लिम समुदाय के बच्चों का भी होता है मुंडन संस्कार।

खोदावंदपुर/बेगूसराय। दौलतपुर पंचायत के चलकी गांव का दुर्गा मंदिर सामाजिक सौहार्द का प्रतीक है. यहां लोगों की मुरादें पूरी होती है. निः संतानों को मां भगवती दुर्गा की कृपा से संतान की प्राप्ति होने की भी चर्चा है. इतना ही नहीं यहां मुस्लिम समुदाय के बच्चों का मुंडन संस्कार भी करवाया जाता है. इसलिए इस दुर्गा मंदिर में हिन्दू के साथ-साथ मुसलमान भाइयों की आस्था जुड़ी है.प्राप्त जानकारी के अनुसार बेगमपुर गांव के चन्द्रशेखर शर्मा ने संतान प्राप्ति की कामना करते हुए मां दुर्गा की आराधना की थी. कुछ समय बाद उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई. इस मंदिर की स्थापना सन 1968 ई में झोपड़ीनुमा घर में की गई थी और उसी वर्ष से यहां पूजा पाठ अबतक की जा रही है. कालांतर में चलकी गांव के राम नारायण महतो उर्फ भगत जी ने इस मंदिर में अपने हाथों से भगवती दुर्गा की प्रतिमा बनाकर प्रत्येक वर्ष पूजा पाठ करना शुरू किया. अब माँ भवानी पूजा समिति के द्वारा हर वर्ष यहाँ प्रतिमा स्थापित कर पूजा पाठ करवाया जाता है. क्षेत्र के कन्याओं द्वारा इस मंदिर में कलश की स्थापना कर विशेष पूजा अर्चना की जाती है. प्रबन्धकारिणी समिति के अध्यक्ष अरुण महतो, सचिव जय नारायण पासवान तथा कोषाध्यक्ष राम नारायण महतो ने बताया कि वर्तमान में ग्रामीणों के सहयोग से यहां हर वर्ष दुर्गा पूजा सम्पन्न करवाया जाता है. माँ भवानी पूजा समिति के तत्वावधान में प्रति वर्ष क्षेत्र के सैकड़ों छात्र छात्राओं के बीच प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है.जिसमें बेहतर प्रदर्शन करने वाले प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया जाता है. इतना ही नहीं यहां कम्पीटीशन की तैयारी करने वाले अधिकांश छात्रों नौकरी अवश्य प्राप्त करते हैं. इस मंदिर परिसर में तीन दिवसीय मेला का आयोजन होता है, जिसमें दर्जनों दुकानेंं सजाई जाती है. यहां आस्था का सैलाब उमड़ पड़ता है. वहीं दूसरी ओर बाड़ा गांव स्थित दुर्गा मंदिर को भी मनोकामना पूर्ण करने वाला माना जाता है. शारदीय नवरात्र में हर वर्ष इस मंदिर में देवी दुर्गा की प्रतिमा स्थापित कर माँ की पुजा अर्चना की जाती है.
वहीं दूसरी ओर पंचायत की मुखिया बेबी देवी ने बताया कि लगभग 150 वर्ष पहले इस मंदिर की स्थापना हुई. पहले झोपड़ीनुमा मंदिर था, जिसका स्थान अब भव्य इमारत ने ले लिया है. पूर्व मुखिया टिंकू राय ने ग्रामीणों के सहयोग से आलीशान मंदिर बनवाया. यहां चार दिवसीय सांस्कृतिक कार्यक्रम किया जाता है. इस कार्यक्रम में लोगों का उत्साह देखते ही बनता है. लोगों का कहना है कि यहां से कोई खाली हाथ नहीं लौटता है.
इसके अलावे सागीडीह, नारायणपुर, चकयद्दू मालपुर, तेतराही, पथराहा, मसुराज, बरियारपुर पश्चिमी, मेघौल गांव के दुर्गा मंदिरों में शारदीय नवरात्र के मौके पर भगवती दुर्गा की प्रतिमा स्थापित की जाती है. वैदिक मंत्रोच्चार तथा दुर्गा सप्तशती के श्लोकों के साथ पूजा अर्चना की जाती है. इस अवसर पर कलश स्थापना के साथ ही पूरे क्षेत्र का वातावरण भक्तिमय हो जाता है.