खोदावन्दपुर/बेगूसराय। सनातन धर्म में ऐसे कई पर्व हैं, जिसमें विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती है। उसी में से एक व्रत है हरतालिका तीज, जबकि भादो माह यानी अगस्त महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज का व्रत रखा जाता है। इस साल हरतालिका तीज का व्रत 30 अगस्त को रखा जाएगा। धार्मिक मान्यता है कि हरतालिका तीज का व्रत माता पार्वती ने पहली बार रखा था। इसके बाद से हरतालिका तीज भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन के पर्व के रूप में मनाया जाने लगा है। क्षेत्र के ज्योतिषचार्य के अनुसार माता पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए 107 बार जन्म लिया था, लेकिन माता पार्वती जी का भगवान शिव की प्राप्ति नहीं हुई। इसके बाद 108 वीं बार में माता पार्वती ने जन्म लिया। इस जन्म में माता पार्वती ने हरतालिका तीज का व्रत रखा और कठिन त्याग और तपस्या कर भगवान शिव को पा लिया था। यही कारण है कि इस पर्व में कुंवारी कन्या सुंदर वर पाने के लिए और विवाहित महिलाएं अपने पति की दीर्घायु जीवन के लिए व्रत रखती है! हरतालिका तीज का व्रत करवा चौथ से भी कठिन माना जाता है। इस दिन व्रत रखने वाली महिलाएं अन्न जल को त्याग कर निर्जला व्रत रखती है।
हरतालिका तीज का क्या है महत्व:-
इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए सोलह सिंगार करके भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना करती है। इस दिन महिलाएं सुहाग की पिटारी रखती है, जिसमें कुमकुम, मेहंदी, बिंदी, सिंदूर, बिछिया, काजल, चुड़ी और कंघी समेत सोलह सिंगार रखती है।
जानिए क्या है शुभ मुहूर्त:-
ज्योतिषाचार्य के अनुसार भादो माह यानी अगस्त महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज का व्रत रखा जाता है। हरतालिका तीज पर व्रत के लिए शुभ मुहूर्त 29 अगस्त दोपहर 3:25 से 30 अगस्त दोपहर 3:45 बजे तक रहेगा। वहीं 30 अगस्त को सुबह 6:00 बजे से पूजा का शुभ मुहूर्त है।हरतालिका तीज की पूजा की विधि:-
हरतालिका तीज व्रत रखने वाली महिलाओं को पूजा सामग्री पर विशेष ध्यान देना चाहिए। पूजा सामग्री में कलश, बेलपत्र, शमी का पत्ता और केले का पत्ता, सूखा नारियल, अबीर, मंजरी, के अलावे इस पांच प्रकार के फल दुबा, जनेऊ, कपूर, अगरबत्ती, सोलह सिंगार इत्यादि समान की जरूर रखना चाहिए।