खोदावंदपुर/बेगूसराय। इस बार खरीफ मौसम में बारिश कम हो जाने के कारण धान की खेती प्रभावित हुई है. किसान भाई ने जैसे-तैसे सिंचाई की व्यवस्था कर खेती किया. अब समय पर बारिश ना होने के कारण पानी की कमी हो रही है और इस कमी के कारण अनेकों बीमारी तथा कीट का प्रकोप बढ़ रहा है.खेतों में भ्रमण करने पर कहीं-कहीं पत्ती लपेटत दीमक और तना छेदक का प्रकोप देखने को मिला है. तना छेदक कीट को जांचने का आसान तरीका यह है कि किसान भाई अपने खेत में जाकर बाली को हल्के से खींचने पर पौधे आसानी से निकल जाती है और उसको नीचे से देखने पर गोलाकर अवस्था में कटा हुआ मिल जाता है. इसके लिए किसान भाई को सलाह दी जाती है कि अगर मेर को बांध करके पानी जमा किए हैं तो काटॉप हाइड्रोक्लोराइड दवाई 4 किलो ग्राम प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें एवं जिस खेत में पानी जमा नहीं होता है. वहां फिपरोनिल 5 एससी 2 एमएल प्रति लीटर की दर से छिड़काव करें. पत्ती लपेटा तथा दिमाग का प्रभाव देखने पर क्लोरपीरिफॉस का छिड़काव 1.5 एम एल प्रति लीटर की दर से करें. इसके साथ ही खरीफ मौसम में कुछ किसान भाई धान के अलावे सोयाबीन की भी खेती करते हैं. जिन किसान भाई अपने खेतों में सोयाबीन लगाया है, उसका सोयाबीन लगभग फूल लगने की अवस्था में आ गई है. सोयाबीन के खेतों का निरीक्षण करते हुए यह पाया गया कि कुछ खेतों में येलो बैन मोजाइक बीमारी का प्रकोप अत्यधिक हो रहा है. शुरुआत में यह बीमारी एक या दो पत्ती से होती है, जो कि बाद में पूरे खेत में फैल जाती है.इस बीमारी में सोयाबीन की पत्ती पीली हो जाती है. जिस कारण से पौधे का बढ़ना एवं फुलान प्रभावित हो जाता है और इसके फल स्वरुप उपज पर असर पड़ता है. किसान भाई को सलाह दी जाती है कि जब भी खेत में एक या दो पौधे में यह लक्षण दिखाई पड़े तो तुरंत ही वह पौधे को खेतों से निकालकर दूर ले जाकर उसे गड्ढे में गाड़ दें एवं खेत में इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एसएल का छिड़काव एक एमएल प्रति लीटर की दर से कर दें तथा 10 से 12 दिन के अंतराल पर फिर से दोहराएं. इसके साथ ही सोयाबीन के पत्तों में पत्ती को खाने एवं चाटने वाले कीटों का प्रकोप भी देखा गया। इसके रोकथाम के लिए प्रोफेनोफॉस एक एमएल प्रति लीटर की दर से किसान भाई छिड़काव करें. इसकी जानकारी कृषि विज्ञान केन्द्र खोदावन्दपुर के वरीय वैज्ञानिक सह प्रधान डॉ रामपाल ने दी है.