खोदावंदपुर,बेगूसराय। कृषि को उन्नत बनाने के लिए किसानों के बीच शनिवार को प्रखंड कृषि कार्यालय द्वारा हरी खाद का पैकेट उपलब्ध कराया गया. इस मौके पर प्रशिक्षु प्रखंड कृषि पदाधिकारी सुमन कुमार सुरेन्द्र ने बताया कि हरी खाद का मतलब है, पौधों को मिट्टी में दबाकर खाद बनाना, जो मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाता है. यह एक प्राकृतिक तरीका है, जिससे मिट्टी में कार्बनिक पदार्थ, नाइट्रोजन और अन्य पोषक तत्व बढ़ते हैं, इससे फसलें अच्छी होती हैं. उन्होंने बताया कि हरी खाद मिट्टी की उर्वरता में वृद्धि करती है. इसके अलावे हरी खाद मिट्टी में कार्बनिक पदार्थ जोड़कर उसकी संरचना को बेहतर भी बनाती है, जिससे पानी और पोषक तत्वों को बनाए रखने में मदद मिलती है. प्रशिक्षु बीएओ ने बताया कि हरी खाद, खासकर दलहनी पौधे, मिट्टी में नाइट्रोजन जोड़ते हैं, जो पौधों के लिए एक महत्वपूर्ण पोषक तत्व है. उन्होंने कहा कि हरी खाद का उपयोग करके रासायनिक कीटनाशकों और खरपतवारों की आवश्यकता कम हो सकती है. साथ ही हरी खाद का उपयोग करने के लिए कम लागत लगती है और यह एक टिकाऊ खेती का तरीका है. हरी खाद का उपयोग करके मिट्टी की उर्वरता और संरचना को बेहतर बनाने के साथ-साथ पर्यावरण को भी फायदा होता है. हरी खाद का उपयोग करके फसल की पैदावार में वृद्धि होती है. बीएओ ने बताया कि सनैइ, ढैंचा, लोबिया, उड़द, मूंग, ग्वार जैसी दलहनी फसलों को हरी खाद के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है. उन्होंने बताया कि हरी खाद की फसलें उगाएं और जब वे पूरी तरह से विकसित हो जाएं, तो उन्हें मिट्टी में दबा दें. दलहनी फसलों को 60 दिनों के बाद फलियों को तोड़कर मिट्टी में मिला दिया जाता है. हरी खाद की किस्मों को फसल के 42-56 दिन पुराना होने पर मिट्टी में मिला दिया जाता है. हरी खाद एक प्राकृतिक और टिकाऊ खेती का तरीका है, जो मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाता है. फसल की पैदावार में वृद्धि करता है और पर्यावरण को फायदा पहुंचाता है.