कुती ने भगवान से संपत्ति नहीं विपत्ति का किया था मांग-आचार्य चंद्रमणि त्रिपाठी। मेघौल गांव में श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन

खोदावंदपुर/बेगूसराय। मेघौल गांव में श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन बुधवार को बनारस से पधारे कथावाचक आचार्य चंद्रमणि त्रिपाठी ने कहा गीता में वर्णन है कुंती ने भगवान से संपत्ति नहीं विपत्ति का मांग किया था. आखिर कुंती ने विपत्ति क्यों मांगा, लोग तो संपत्ति, धन, वैभव, ऐश्वर्य की मांग करते हैं तो कुंती ने कहा जब विपत्ति होता है तो सदा आपका स्मरण रहता है. लोग आपको भजते हैं और जो लोग आपको भेजते हैं, वो आपके पास होते हैं.आपके होते हैं फिर उन्हें विपत्ति किस बात का. उन्होंने कहा संपत्ति की कमी विपत्ति नहीं है. भगवान को भूल जाना ही सबसे बड़ी विपत्ति है. कथा में आगे भीष्म पितामह और द्रौपदी संवाद का चर्चा करते हुए आचार्य ने कहा कि जब भीष्म पितामह मरणासन्न थे. बान सैया पर पड़े हुए थे तो उपदेश की बातें कर रहे थे. अच्छी-अच्छी ज्ञान की बातें कर रहे थे. तभी द्रोपती ने प्रश्न किया पितामह आपका उस समय यह नैतिक शिक्षा, यह ज्ञान की बातें कहां चली गयी थी. जब भरे दरबार में हमारा चीर हरण हो रहा था तो उन्होंने कहा उस समय हमारे शरीर में दुर्योधन के अन्न का प्रभाव था, जैसा अन्न होगा वैसा मन होगा. इसलिए मुझे उस समय कुछ सूझता नहीं था. उन्होंने कहा गलत कर्मों से अर्जित धन कभी सुख और वैभव नहीं दे सकता. इसलिए सदा सत्य की राह चलो, ईश्वर तुम्हारा हमेशा साथ देगा और भला करेगा. आगे उन्होंने कहा मन और बुद्धि को एकाग्र कर भगवान का स्मरण हमेशा फलदाई होता है. इस प्रकार कथा को आगे बढ़ते हुए आचार्य ने राजा परीक्षित के ऊपर कलयुग के प्रभाव का वर्णन करते हुए उन्होंने कहा था कि कलयुग के प्रभाव में आकर राजा परीक्षित जैसे धर्मावलंबी ने श्रृंगी ऋषि के गले में मरा सर्प डाल दिया था. उससे वह शापित थे, जिससे मुक्ति के लिए ब्रह्मा जी ने उन्हें रास्ता दिखाया था और सुखदेव जी से भागवत कथा सुनने के पश्चात हुए दोष मुक्त हुए थे. इस प्रकार भागवत कथा समस्त दोशों, पापों को नष्ट करता है ऐसा इसमें क्षमता है. भागवत कथा के श्रवण से कलिकाल में सारे सुखों और वैभव की प्राप्ति होती है तथा समस्त पापों का नाश होता है. कलयूग केवल नाम अधूरा. जपत जपत नर उतरहीं पारा. इस प्रकार बुधवार की कथा काफी रोचक रहा. तत्पश्चात भागवत भगवान का आरती के पूजन के पश्चात दूसरे दिन की कथा संपन्न हुयी. मौके पर मुख्य यजमान सपत्नीक व प्रवासी कामगार शशि शेखारम, रामानुज सिंह के साथ आनंद कुमार, गोविंद प्रसाद सिंह, अवकाश प्राप्त अंकेक्षक मोहन प्रसाद सिंह, सूर्यनारायण महतो, प्रो हरेराम महतो, जितेंद्र नारायण सिंह सहित सैकड़ों महिला व पुरुष श्रोता शामिल थे.