खोदावंदपुर/बेगूसराय। नौकरी के दृष्टि से संस्कृत पढ़ना जरूरी नहीं है. कोई डॉक्टर बने, कोई इंजीनियर बने, जिसकी जो रुचि है वो समाज में जाये. हर किसी को संस्कृत जाननी चाहिये और बोलचाल की भाषा में संस्कृत का ज्ञान होना चाहिये. यह हमारी भारत की स्मिता है. सनातन परंपरा रही है कि सबों को धरोहर के रूप में संस्कृत आनी चाहिये. यह बातें कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय दरभंगा के कुलपति डॉ लक्ष्मी निवास पाण्डेय ने अपने उद्घाटन भाषण के दौरान कहीं. वे अखिल भारतीय संस्कृत हिन्दी विद्यापीठ खम्हार, बेगूसराय परिसर में 09 दिसंबर को नवनिर्मित पीसीसी सड़क का उद्घाटन सह एक पेड़ मां के नाम के तहत वृक्षारोपण के पश्चात आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे. कुलपति ने कहा कि आपलोग हिन्दी, मैथिली, अंग्रेजी भाषा को बोलचाल में लाते हैं, परंतु संस्कृत भाषा को भी बोलचाल में लानी चाहिये. उन्होंने कहा कि आज से सौ साल पहले संस्कृत भाषा में ही बातचीत करते थे, लेकिन आज ये भाषा धरोहर के रुप में ही रह गया. जब से विदेशी भाषा आयी, हमलोगों का उस पर ज्यादा ध्यान चला गया, सिर्फ संस्कृत एक विषय बनकर रह गया. कुलपति ने कहा कि अब समाज में संस्कृत भाषा कठिन लगता है, लेकिन प्रयास करने के बाद यह बिल्कुल आसान भाषा है. संस्कृत पूजा पाठ तक ही सिमित रह गया, जिसका प्रचार प्रसार आमजनों के बीच नहीं हो रहा है. जिस कारण से यह भाषा समाज से कट गया. अब इस भाषा को समाज से जोड़ना है और आमजनों के बीच इसे सुलभ बनाना है, जिससे समाज के लोग संस्कृत भाषा की उपयोगिता को समझ सकें. वहीं महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ अशोक कुमार आजाद ने कहा कि संस्कृत बहुत ही सुलभ भाषा है, हमने देखा है कि संस्कृत पढ़कर 23 छात्रों को एक साथ नौकरी मिली, ये कठिन नहीं बिल्कुल आसान है. इसलिए इस धारणा को तोड़ना पड़ेगा कि हम अंग्रेजी, विज्ञान, हिन्दी, गणित पढ़कर ही नौकरी पा सकते हैं, संस्कृत पढ़कर भी आप नौकरी पा सकते हैं. प्रधानाचार्य ने कहा कि विश्वविद्यालय के पदाधिकारियों के सहयोग से इस महाविद्यालय का सर्वांगीण विकास हुआ है. इसके लिए कुलपति साहब को कॉलेज परिवार आभार व्यक्त करती है. उन्होंने कहा कि इस महाविद्यालय को स्थापना काल से ही छात्र-छात्राओं और शिक्षकों के आवागमन के लिए रास्ता नहीं था, जबकि यह अंगीभूत महाविद्यालय है. जो अपने आप में रास्ता के अभाव में उपहास का विषय बना हुआ था, लेकिन प्रधानाचार्य और भूमिदाता के सहमति से तथा विश्वविद्यालय प्रशासन के सहयोग से जमीन अदला-बदली होने के उपरांत आज इस महाविद्यालय में पक्की सड़क बन जाने के कारण कुलपति द्वारा उद्घाटन किया गया है. इस कार्यक्रम से पूरे ग्रामीण, महाविद्यालय परिवार और विश्वविद्यालय के पदाधिकारियों में हर्ष व्याप्त है. यह एक एतिहासिक पहल हुआ है. कार्यक्रम को दरभंगा विश्वविद्यालय छात्र कल्याण के अध्यक्ष डॉ शिवलोचन झा, महाविद्यालय विकास परिषद के समन्वयक डॉ दिनेश झा, विश्वविद्यालय के बजट एवं विकास पदाधिकारी डॉ पवन झा, भू संपदा पदाधिकारी डॉ उमेश झा, महाविद्यालय के डॉ विनय कुमार चौधरी, भूमिदाता सुरेन्द्र सिंह, समाजसेवी अंजनी कुमार सिंह, जगदीश सिंह समेत अन्य वक्ताओं ने भी संबोधित किया.
इससे पूर्व विश्वविद्यालय के कुलपति एवं पदाधिकारियों के द्वारा संयुक्त रूप से कॉलेज परिसर में वृक्षारोपण किया गया. तत्पश्चात नवनिर्मित पीसीसी सड़क का विधिवत उद्घाटन किया गया. आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ अशोक कुमार आजाद ने की, जबकि मंच संचालन वरीय शिक्षक ओमप्रिय ने किया. कॉलेज के डॉ विनय कुमार चौधरी के द्वारा मंगलाचरण से कार्यक्रम का शुभारंभ और अतिथियों का स्वागत किया गया. मिथिला परंपरा के अनुसार आगत अतिथियों का स्वागत फूल माला, तिलक, चादर व पाग भेंटकर किया गया.
मौके पर श्री फेकू महतो संस्कृत महाविद्यालय छपकी, बेगूसराय के प्रधानाचार्य डॉ बालेश्वर महतो, सरस्वती विलास संस्कृत महाविद्यालय शोकहरा, बरौनी के प्राचार्य डॉ विनोदानंद झा, अवध बिहारी संस्कृत महाविद्यालय रहीमपुर, खगड़िया के सहायक प्राचार्य डॉ अवधेश राय, प्रताप नारायण संस्कृत महाविद्यालय बौंसी, बांका के सहायक प्राचार्य डॉ आदित्य प्रकाश, खम्हार कॉलेज के डॉ ललन कुमार, कर्मचारी त्रिपुरारी झा, मीरा कुमारी समेत अनेक ग्रामीण, बच्चे व अभिभावक मौजूद थे.
वहीं दूसरी ओर ग्रामीणों ने कुलपति से महाविद्यालय में रिक्त पड़े शिक्षकों की नियुक्ति किये जाने की मांग की. तथा बेगूसराय जिला के प्रत्येक प्रखंड क्षेत्र में दशकों पूर्व से जीर्णशीर्ण अवस्था में पड़े प्राथमिक, मध्य एवं उच्च संस्कृत विद्यालयों को जीर्णोद्धार किये जाने की मांग की. कुलपति ने ग्रामीणों को इस दिशा में हरसंभव प्रयास करने का आश्वासन दिया, जहां ग्रामीणों ने ताली बजाकर उनका जोरदार स्वागत किया.