सरकारी नौकरी छोड़ बेटियों को ऑफिसर बनाने के लिए कर रहे शिक्षादान, गुरु दक्षिणा में कर रहे पौधरोपण *पीएमओ ने की सराहना*

राजेश कुमार,खोदावंदपुर/बेगूसराय। गांव की गरीब और वंचित परिवार की बेटियों के शिक्षा के प्रति इतना लगाव था कि सावित्री बाई फूले और ज्योतिबा फूले से प्रेरित होकर राजेश कुमार सुमन ने विदेश मंत्रालय, भारत सरकार की सरकारी नौकरी तक छोड़ दिया और जुट गया गांव के बेटियों के बीच शिक्षा का अलख जगाने. इनके पहल की सराहना प्रधानमंत्री कार्यालय नई दिल्ली के आधिकारिक ट्वीटर अकाउंट से भी किया गया है, देश के बड़े-बड़े हस्ती भी इनके कार्यों के दीवाने हो चुके हैं, बिहार सरकार भी कई बार सम्मानित कर चुकीं हैं. इसके अलावे राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर दर्जनों अवार्ड से सम्मानित हो चुके हैं. कई अंतर्राष्ट्रीय जर्नल में इनका जीवनी प्रकाशित हो चुका है. राजेश सुमन ग्रीन पाठशाला बीएसएस क्लब नाम से बेगूसराय एवं समस्तीपुर के कई गावों में पाठशाला संचालित कर रहे हैं, जो संभवत: दुनियां का पहला ग्रीन पाठशाला होगा,जहां पढ़ने वाली गांव की बिटिया गुरु दक्षिणा/फीस के रूप में कम से कम 18 पौधरोपण करती है, जिससे देशवासियों को हमेशा शुद्ध प्राणवायु और छाया मिलता रहेगा. हमारा देश भी हरा भरा रहेगा. इस पाठशाला में बिहार के अन्य जिलों के भी 12वीं उत्तीर्ण हजारों वंचित और गरीब बेटियों को प्रतियोगिता परीक्षा की कोचिंग देकर बिहार पुलिस, दारोगा, ट्रेन मैनेजर, सहायक प्रशाखा पदाधिकारी, सहायक स्टेशन मास्टर सहित अन्य सरकारी नौकरियों के बुलंदी तक पहुंचाया गया है. खासकर जो बिटिया पटना और दिल्ली जाकर प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी करने में सक्षम नहीं है, सुमन के द्वारा उन ग्रामीण इलाकों के बेटियों को भी पढ़ाया गया है, जो केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार के विभिन्न शासकीय और गैर-शासकीय सेवाओं में अधिकारी पदों पर चयनित होकर देश की सेवा में जुटे हैं. सरकारी नौकरी के बाद गांव की बेटियां आर्थिक रूप से सशक्त बन रही है. स्त्री और पुरूष में सामाजिक भेद-भाव भी दूर हो रहा है. गांव के बेटियों को सरकारी नौकरी के बाद लड़के वाले दहेज मुक्त शादी करने के लिए अब गुहार लगाते हैं. राजेश सुमन के इस प्रयास में इनकी पत्नी रुबी कुमारी का भी सहयोग रहता है. सुमन उन बेटियों को अपनी बहन और बेटी की तरह मानते हैं. प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी कराने के साथ-साथ  विशेष प्रकार का हरित संस्कार और अनुशासन भी देते हैं. सुमन आज बिहार ही नहीं बल्कि देश की ग्रामीण इलाकों के बेटियों के लिए मसीहा बन चुके हैं. सुमन को शुरू में लोगों ने खूब परेशान किया, लेकिन अब बडे़-बड़े लोगों का पैरवी आता है, मेरे बेटी को भी पढ़ा दीजिए, आप जितना कहेंगे उतना गुरु दक्षिणा में पौधरोपण करवा देंगे. बेटियों के पढ़ाने के बाद सुमन के पास जो समय बचता है, उस समय का इस्तेमाल बेटियों के सम्मान में पौधरोपण में लगा देते हैं. इनके द्वारा अबतक देशभर में 75 हजार किमी का ऑक्सीजन बचाओ हरित यात्रा कैंपेन चलाकर 5 लाख से ज्यादा बेटियों के सम्मान में बेटियों के नाम से आम और लीची का पौधरोपण निजी खर्च पर किया गया है. सुमन को लोग ऑक्सीजन मैन और पौधे वाले गुरुजी राजेश कुमार सुमन के नाम से पुकारते हैं. विदेशों में भी इनके कार्यों का खूब चर्चाएं होती रहती है, विदेशों में इन्हें ग्लोबल एनवायरनमेंट एंड क्लाइमेट चेंज लीडर सह ऑक्सीजन मैन के नाम से संबोधित किया जाता है.