बेगूसराय से राजेश कुमार की रिपोर्ट:- भारत की मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कॉमरेड सीताराम येचुरी का निधन एम्स नई दिल्ली में गंभीर बीमारी के कारण गत 12 सितंबर को इलाज के दौरान हो गयी। वे 72 वर्ष के थे। उनके निधन की खबर सुनते ही दर्जनों राजनीतिक व सामाजिक कार्यकर्ताओं में शोक की लहर दौड़ गयी.
पार्थिव शरीर पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि देते विभूतिपुर विधायक कॉमरेड अजय कुमार:-
इसकी जानकारी देते हुए माले नेता अवधेश कुमार ने बताया कि कॉमरेड सीताराम येचुरी, मजदूर वर्ग की पार्टी के सबसे बड़े नेताओं में से एक होने के नाते मजदूर वर्ग तथा शोषित जनता के हितों के प्रति गहरी प्रतिबद्धता रखते थे। वे हमारे दौर के सबसे प्रसिद्ध मार्क्सवादी विचारकों में से एक थे। उन्होंने अपने अकादमिक जीवन में, वे असाधारण प्रतिभा के छात्र थे। राजनीतिक तौर पर बेहद उथलपुथल वाले दौर में वे जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में छात्र आंदोलन में शामिल हुए और तीन बार जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए। वे लंबे समय तक स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष भी रहे। उन्हें आपातकाल के दौरान उनकी नेतृत्वकारी राजनीतिक गतिविधियों के लिए गिरफ्तार किया गया था। वहीं आइसा नेता असीम आनंद ने कहा कि सन 1985 में वे सीपीआई(एम) की केंद्रीय कमेटी के सदस्य के तौर पर चुने गए। 1992 में वे पोलित ब्यूरो के सदस्य बने और 2015 में सीपीआई(एम) के महासचिव चुने गए। 2005-2017 तक वे राज्यसभा के सदस्य भी रहे। उन्होंने संसद में मेहनतकश जनता, खास तौर पर मजदूर वर्ग की आवाज मजबूती से उठाई। उन्होंने सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण का विरोध किया और केंद्र सरकार की नवउदारवादी नीतियों से उत्पन्न कई भ्रष्टाचार के मामलों व घोटालों को उजागर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने मौजूदा सत्ता में काबिज राजनीतिक ताकतों द्वारा बढ़ावा दिए जा रहे सभी प्रकार के सांप्रदायिकता और अंधविश्वास के खिलाफ योद्धा की भूमिका भी निभाई। इस मौके पर खेतिहर मजदूर यूनियन संघ के अंचलमंत्री मोहम्मद अब्दुल कुद्दूस ने कहा कि सीपीआई(एम) के नेता के रूप में उन्होंने चुनावी बांड के खिलाफ मुकदमा लड़ा। उन्होंने भाजपा सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 को निरस्त करने का कड़ा विरोध किया और कश्मीर को जेल बनाने की कोशिश करने वाली सरकार से लड़ने के लिए कश्मीर का दौरा करने वाले वे पहले व्यक्ति थे। उन्होंने कहा कि कॉमरेड सीताराम येचुरी अपने सक्रिय राजनीतिक जीवन में समाजवाद के आदर्शों पर अडिग रहे तथा राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वैज्ञानिक समाजवाद को कायम रखते हुए वैचारिक संघर्ष का नेतृत्व किया। वहीं माकपा अंचलमंत्री नेतराम यादव ने कहा कि वे नवउदारवाद तथा अस्सी के दशक के अंत/90 के दशक की शुरुआत से भारत की अर्थव्यवस्था, राजनीति और समाज में इसके तमाम विकृत परिणामों के खिलाफ संघर्षों के चेहरों में से एक थे। सीपीआई (एम) के नेता और एक सांसद के रूप में, वे हमेशा अलग अलग सेक्टरों के मजदूरों के संघर्षों में शामिल होने के प्रति उत्सुक थे। संसद के भीतर उन्होंने अपनी शानदार भाषणों से मेहनतकश जनता के विभिन्न हिस्सों के मुद्दों को उठाने के साथ साथ शासक वर्ग की विभिन्न विकृत जनविरोधी तथा लोकतंत्र विरोधी नीतियों का पर्दाफाश भी किया। उन्हें 2017 में सर्वश्रेष्ठ सांसद का पुरस्कार मिला। इस मौके पर भाकपा अंचलमंत्री उदयचन्द्र झा ने कहा कि वे अंतरराष्ट्रीय मुद्दों के विशेषज्ञ थे और राजनीति में साम्राज्यवाद विरोधी मुद्दों और मुखरता के चैंपियन थे।विभिन्न भाषाओं में शानदार भाषण देने की क्षमता के साथ, वे आम कार्यकर्ताओं के साथ-साथ बुद्धिजीवियों से भी संवाद कर सकते थे। कॉमरेड सीताराम किसी भी विषय पर अपनी त्वरित और विनोदपूर्ण प्रतिक्रियाओं के लिए भी प्रसिद्ध थे. सीताराम येचुरी ने कई वर्षों तक साप्ताहिक पीपुल्स डेमोक्रेसी के संपादक के रूप में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया तथा इसके साथ ही वे सैद्धांतिक त्रैमासिक पत्रिका- “मार्क्सिस्ट” के संपादक भी रहे। उन्होंने हिंदुत्ववादी सांप्रदायिकता की आलोचना में महत्वपूर्ण वैचारिक योगदान दिया। आइसा नेता एहतेशाम आजाद ने कहा कि सत्तासीन सांप्रदायिक ताकतों के खिलाफ संघर्ष में धर्मनिरपेक्ष विपक्षी दलों की व्यापक एकता बनाने में उन्होंने प्रमुख भूमिका निभाई। उनकी राजनीतिक ईमानदारी और प्रतिबद्धता के लिए सभी उनका सम्मान करते थे। हमारी राष्ट्रीय राजनीति के इस महत्वपूर्ण मोड़ पर कॉमरेड सीताराम येचुरी का असामयिक निधन प्रगतिशील मूल्यों तथा समाज व विशेष तौर पर मजदूर वर्ग के आंदोलन के लिए एक बड़ी क्षति है। वहीं विनय कुमार अकेला ने कहा कि सीआईटीयू कॉमरेड सीताराम येचुरी को सम्मानपूर्वक श्रद्धांजलि अर्पित करता है तथा शोक संतप्त परिवार और मित्रों के प्रति अपनी हार्दिक संवेदना व्यक्त करता हूँ। उन्होंने दिवंगत नेता के सम्मान में सीआईटीयू एक सप्ताह तक अपने झंडे आधे झुकाए रखने की बात कहीं.
इसकी जानकारी देते हुए माले नेता अवधेश कुमार ने बताया कि कॉमरेड सीताराम येचुरी, मजदूर वर्ग की पार्टी के सबसे बड़े नेताओं में से एक होने के नाते मजदूर वर्ग तथा शोषित जनता के हितों के प्रति गहरी प्रतिबद्धता रखते थे। वे हमारे दौर के सबसे प्रसिद्ध मार्क्सवादी विचारकों में से एक थे। उन्होंने अपने अकादमिक जीवन में, वे असाधारण प्रतिभा के छात्र थे। राजनीतिक तौर पर बेहद उथलपुथल वाले दौर में वे जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में छात्र आंदोलन में शामिल हुए और तीन बार जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए। वे लंबे समय तक स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष भी रहे। उन्हें आपातकाल के दौरान उनकी नेतृत्वकारी राजनीतिक गतिविधियों के लिए गिरफ्तार किया गया था। वहीं आइसा नेता असीम आनंद ने कहा कि सन 1985 में वे सीपीआई(एम) की केंद्रीय कमेटी के सदस्य के तौर पर चुने गए। 1992 में वे पोलित ब्यूरो के सदस्य बने और 2015 में सीपीआई(एम) के महासचिव चुने गए। 2005-2017 तक वे राज्यसभा के सदस्य भी रहे। उन्होंने संसद में मेहनतकश जनता, खास तौर पर मजदूर वर्ग की आवाज मजबूती से उठाई। उन्होंने सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण का विरोध किया और केंद्र सरकार की नवउदारवादी नीतियों से उत्पन्न कई भ्रष्टाचार के मामलों व घोटालों को उजागर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने मौजूदा सत्ता में काबिज राजनीतिक ताकतों द्वारा बढ़ावा दिए जा रहे सभी प्रकार के सांप्रदायिकता और अंधविश्वास के खिलाफ योद्धा की भूमिका भी निभाई। इस मौके पर खेतिहर मजदूर यूनियन संघ के अंचलमंत्री मोहम्मद अब्दुल कुद्दूस ने कहा कि सीपीआई(एम) के नेता के रूप में उन्होंने चुनावी बांड के खिलाफ मुकदमा लड़ा। उन्होंने भाजपा सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 को निरस्त करने का कड़ा विरोध किया और कश्मीर को जेल बनाने की कोशिश करने वाली सरकार से लड़ने के लिए कश्मीर का दौरा करने वाले वे पहले व्यक्ति थे। उन्होंने कहा कि कॉमरेड सीताराम येचुरी अपने सक्रिय राजनीतिक जीवन में समाजवाद के आदर्शों पर अडिग रहे तथा राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वैज्ञानिक समाजवाद को कायम रखते हुए वैचारिक संघर्ष का नेतृत्व किया। वहीं माकपा अंचलमंत्री नेतराम यादव ने कहा कि वे नवउदारवाद तथा अस्सी के दशक के अंत/90 के दशक की शुरुआत से भारत की अर्थव्यवस्था, राजनीति और समाज में इसके तमाम विकृत परिणामों के खिलाफ संघर्षों के चेहरों में से एक थे। सीपीआई (एम) के नेता और एक सांसद के रूप में, वे हमेशा अलग अलग सेक्टरों के मजदूरों के संघर्षों में शामिल होने के प्रति उत्सुक थे। संसद के भीतर उन्होंने अपनी शानदार भाषणों से मेहनतकश जनता के विभिन्न हिस्सों के मुद्दों को उठाने के साथ साथ शासक वर्ग की विभिन्न विकृत जनविरोधी तथा लोकतंत्र विरोधी नीतियों का पर्दाफाश भी किया। उन्हें 2017 में सर्वश्रेष्ठ सांसद का पुरस्कार मिला। इस मौके पर भाकपा अंचलमंत्री उदयचन्द्र झा ने कहा कि वे अंतरराष्ट्रीय मुद्दों के विशेषज्ञ थे और राजनीति में साम्राज्यवाद विरोधी मुद्दों और मुखरता के चैंपियन थे।विभिन्न भाषाओं में शानदार भाषण देने की क्षमता के साथ, वे आम कार्यकर्ताओं के साथ-साथ बुद्धिजीवियों से भी संवाद कर सकते थे। कॉमरेड सीताराम किसी भी विषय पर अपनी त्वरित और विनोदपूर्ण प्रतिक्रियाओं के लिए भी प्रसिद्ध थे. सीताराम येचुरी ने कई वर्षों तक साप्ताहिक पीपुल्स डेमोक्रेसी के संपादक के रूप में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया तथा इसके साथ ही वे सैद्धांतिक त्रैमासिक पत्रिका- “मार्क्सिस्ट” के संपादक भी रहे। उन्होंने हिंदुत्ववादी सांप्रदायिकता की आलोचना में महत्वपूर्ण वैचारिक योगदान दिया। आइसा नेता एहतेशाम आजाद ने कहा कि सत्तासीन सांप्रदायिक ताकतों के खिलाफ संघर्ष में धर्मनिरपेक्ष विपक्षी दलों की व्यापक एकता बनाने में उन्होंने प्रमुख भूमिका निभाई। उनकी राजनीतिक ईमानदारी और प्रतिबद्धता के लिए सभी उनका सम्मान करते थे। हमारी राष्ट्रीय राजनीति के इस महत्वपूर्ण मोड़ पर कॉमरेड सीताराम येचुरी का असामयिक निधन प्रगतिशील मूल्यों तथा समाज व विशेष तौर पर मजदूर वर्ग के आंदोलन के लिए एक बड़ी क्षति है। वहीं विनय कुमार अकेला ने कहा कि सीआईटीयू कॉमरेड सीताराम येचुरी को सम्मानपूर्वक श्रद्धांजलि अर्पित करता है तथा शोक संतप्त परिवार और मित्रों के प्रति अपनी हार्दिक संवेदना व्यक्त करता हूँ। उन्होंने दिवंगत नेता के सम्मान में सीआईटीयू एक सप्ताह तक अपने झंडे आधे झुकाए रखने की बात कहीं.
*कॉमरेड सीताराम येचुरी को लाल सलाम*