राजेश कुमार,खोदावंदपुर/बेगूसराय। पिछले 20-25 दिनों से संपूर्ण प्रखंड क्षेत्र में प्रचंड गर्मी और हीट वेव का दौर जारी है. तापमान 45 डिग्री को छू रहा है, ऐसे में भूगर्भ जल स्तर का नीचे खिसकना लाजमी है. भूगर्भ, वाटर लेवल डाउन होने से प्रखंड क्षेत्र के अधिकांश चापाकल एवं पेयजल के अन्य स्रोतों या तो पूर्ण रूपेण बंद हो गए हैं अथवा कम पानी दे रहे हैं, जिससे क्षेत्र में पेयजल संकट गहरा गया है. एक ओर सुबह होते ही आसमान से आग का गोला बरसने लगता है तो दूसरे ओर पानी की किल्लत हो गया है. अधिकांश चापाकल फेल हो चुके हैं. बहुत सारे सरकारी चापाकल खराब है और जो ठीक है अथवा जो प्रशासन द्वारा ठीक करवाये गए हैं. वह भी पानी कम देते हैं. एक लोटा पानी के लिए 10-10 हैंडल लोगों को दबाना पड़ता है. तब कहीं जाकर के एक लोटा पानी चापाकल से मिल पाता है. खोदावंदपुर प्रखंड के इलाका भी इन समस्याओं से ग्रसित है. खोदावन्दपुर प्रखंड क्षेत्र की बात तो छोड़ दीजिए प्रखंड मुख्यालय में पेयजल की स्थिति भी देयनीय है.
आईए आपको हम रूबरू कराते हैं प्रखंड मुख्यालय के विभिन्न कार्यालय में पेयजल की क्या उपलब्धता है और क्या समस्या है.
दृश्य संख्या एक:-
अभी हम पहुंचे हैं प्रखंड मुख्यालय खोदावन्दपुर, प्रखंड मुख्यालय खोदावन्दपुर के सामने एक सामुदायिक बैठका बरगद पेड़ के नीचे बनाया गया है, जिसके बगल में एक तारा पंप चापाकल है. जो नहीं के बराबर पानी देता है. सिर्फ मंदिर के बगल में जो चापाकल है वह पानी देता है और आम लोग वहीं से पानी पीकर अपना प्यास बुझाते हैं.
दृश्य संख्या दो:-
ई-किसान भवन परिसर का चापाकल महिनों से खराब पड़ा हुआ है. यहां पहुंचने वाले किसान पानी पीने के लिए इधर-उधर भटकते थे. अधिकारियों ने इस मामले को गंभीरता से संज्ञान में लेते हुए महिनों से खराब पड़ें चापाकल को ठीक करवाया. तब जाकर ई-किसान भवन में काम करने वाले अधिकारी और कर्मचारी गर्मी में पानी पी रहे हैं.
दृश्य संख्या तीन:-
कौशल विकास केंद्र खोदावन्दपुर के पास अपना कोई चापाकल या जलनल कनेक्शन नहीं है. बगल के चपकाल से जो मंदिर के बगल में है प्रशिक्षणार्थी बच्चे वहीं जाकर के पानी पीकर अपना प्यास बुझाते हैं. अथवा सप्लाई का पानी जो खरीद करके केंद्र के अंदर डब्बा रहता है. वहीं से पानी लेकर पीते हैं.
दृश्य संख्या चार:-
प्रखंड संसाधन केन्द्र खोदावन्दपुर परिसर में भी शीतल जल का कोई प्रबंध नहीं है. बीआरसी के अंदर जो चापाकल लगा हुआ है, वह महिनों से खराब पड़ा हुआ है. जल नल का कनेक्शन है, वह पानी देता है, जो गर्म पानी है. वह भी पीने लायक नहीं है. यहां पहुंचने वाले शिक्षक अथवा आम लोग जो यहां किसी काम से आते हैं, पानी पीने के लिए अगल-बगल तक झांक करना पड़ता है अथवा वही शिव मंदिर के बगल वाले चापाकल पर आकर अपनी प्यास बुझाते हैं.
दृश्य संख्या पांच:-
पशु अस्पताल खोदावन्दपुर में भी इस प्रचंड गर्मी में शीतल जल पीने का कोई प्रबंध नहीं है. चापाकल है वह भी खराब है. प्रखंड मुख्यालय स्थित पानी टंकी टावर से जो जलापूर्ति किया जाता है, उसी का कनेक्शन राजस्व कचहरी में था. वहां से निजी खर्चे पर पशु चिकित्सक द्वारा पाइप जोड़कर पशु अस्पताल तक नल जल का पानी लाया गया है. उसी से लोग काम चलाते हैं. वह भी पशु शेड के बगल में है, जहां आम पशुपालकों का अस्पताल आना-जाना होता है. वहां पानी पीने का कोई साधन नहीं है.
दृश्य संख्या छह:-
अभी हम पहुंचे हैं सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र खोदावंदपुर, इसके गेट के बगल में एक चापाकल लगा हुआ है जो खराब है. साथ ही सरकारी जल नल का कनेक्शन का एक टोटी भी यहां लगा है, वह भी खराब है. पीने के लिए लोगों को अस्पताल के अंदर जाना पड़ता है, जहां आरो का पानी है और वहीं से लोग पानी पीते हैं.
दृश्य संख्या सात:-
अभी हम पहुंचे हैं कृषि विज्ञान केंद्र खोदावन्दपुर, कृषि विज्ञान केंद्र के गेट पर भी जल नल का एक टोटी लगा हुआ है, जो क्षतिग्रस्त है. पानी नहीं देता है. पानी पीने के लिए लोग कृषि विज्ञान केंद्र के अंदर जो केंद्र के ट्यूबवेल से कनेक्शन किसान भवन में दिया गया है, उसी के टोटी से लोग पानी पीते हैं. जल नल का दिया हुआ टोटी क्षतिग्रस्त है. उसका पानी पीने के लिए लोगों को नहीं मिल पा रहा है क्योंकि वह खराब है. ठीक नहीं है. कुल मिलाकर देखें तो संपूर्ण प्रखंड मुख्यालय के विभिन्न कार्यालय में जो परंपरागत जल स्रोत हैं. वॉटर टावर अथवा चापाकल इत्यादि खराब है ठीक नहीं है, जो ठीक है वह काफी कम पानी देते हैं. जिला प्रशासन द्वारा चापाकल को ठीक करने के लिए लाख दावा किया जाए धाबा दल को हरी झंडी दिखाकर प्रखंडों और गांव के लिए रवाना किया जाये. सब के सब कागज पर हैं, धरातल पर सच्चाई कोशों दूर है. प्रखंड के अधिकांश सरकारी चापाकल खराब है, जब प्रखंड मुख्यालय के चापाकल की यह स्थिति है तो गांव और गलियों में जो सरकारी चापाकल हैं. उसका क्या स्थिति होगा आप सहज ही अंदाजा लगा सकते हैं.
वहीं बरियारपुर पश्चिमी पंचायत के पानी टंकी से वार्ड दस, ग्यारह एवं 12 में भी हर घर नल का जल की स्थिति दयनीय है. मुहल्लेवासियों को नल जल से एक बूंद पानी भी नहीं देते हैं, जबकि अधिकारी स्थल जांच के नाम पर खानापूर्ति करके चले जाते हैं, लोगों को स्वच्छ पेयजल पीने का नसीब नहीं होता है.