खोदावंदपुर/बेगूसराय। आयुर्वेदिक दातव्य औषधालय मेघौल में चिकित्सा व्यवस्था विगत दो दशक से ठप है. इसका पुराना भवन जर्जर हालत में है. इसके फर्नीचर दीमक की भेंट चढ़ चुका है. इसका खंडहर भवन अपने गौरवशाली अतीत की कहानी बता रहा है. इसका उद्धार किए जाने की जरूरत है. आज इस अस्पताल का पुराना भवन अपने उद्धारक की राह देख रहा है. स्थानीय लोगों ने इस अस्पताल को जीवंत किए जाने की मांग जिला प्रशासन से किया है. बताते चलें कि आयुर्वेदिक तरीके से इलाज के मामले में कई वर्षों तक चर्चित रहा आयुर्वेदिक दातव्य औषधालय मेघौल का अस्तित्व समाप्त होने के कगार पर है. इस अस्पताल परिसर की भूमि का अतिक्रमण कर लिया गया है. अगर इस ओर ध्यान नहीं दिया गया तो इस अस्पताल का नक्शा समाप्त हो जायेगा. इस अस्पताल के गौरवशाली अतीत की जानकारी देते हुए क्षेत्र के इतिहासकार व सेवानिवृत शिक्षक मेघौल गांव निवासी चंद्रशेखर चौधरी ने बताया कि तत्कालीन जिला परिषद के सौजन्य से आयुवेर्दिक दातव्य औषधालय मेघौल की स्थापना सन् 1910 इस्वी के दशक में की गयी थी. इस अस्पताल में वैद्यों की नियुक्ति एवं उपस्करों तथा दवाओं की व्यवस्था जिला परिषद के सौजन्य से की जाती थी, यहां विभिन्न असाध्य रोगों का इलाज आयुर्वेदिक दवाओं के द्वारा किया जाता था. इस अस्पताल में अपना इलाज करवाने के लिए दूर दूर से रोगी आते थे. लगभग दो दशक पहले तक इस औषधालय में आयुर्वेदिक तरीका से चिकित्सा व्यवस्था सुचारूरूप से चल रही थी, परन्तु यहां पदस्थापित वैद्य रामानन्द सिंह की सेवानिवृति के बाद चिकित्सा व्यवस्था बिल्कुल ठप हो गयी. रखरखाव के अभाव के कारण इसके कीमती फर्नीचर और महत्वपूर्ण संचिकाएं दीमक की भेंट चढ़ गयी. अस्पताल का भवन भी धीरे-धीरे खंडहर में बदल गया. लगभग 10 वर्ष पहले पंचायत निधि से इस अस्पताल के जर्जर भवन की मरम्मती करवायी गयी थी. मेघौल के ग्रामीण व शिक्षाविद डॉ अवधेश कुमार सिंह उर्फ ललन बाबू, सेवानिवृत्त शिक्षक चंद्रशेखर चौधरी, डॉ ताराकांत मिश्र, पंचायत के मुखिया पुरुषोत्तम सिंह, सरपंच उषा कुमारी, पूर्व मुखिया अनिल प्रसाद सिंह, बिमलेश प्रसाद सिंह, पूर्व पंसस अश्वनी प्रसाद सिंह समेत कई लोगों ने इस अस्पताल को पुनर्जीवित कर आयुर्वेदिक विधि से गरीब गुरवे रोगियों के इलाज की व्यवस्था शुरू करवाने की मांग जिला प्रशासन से की है.
कहते हैं जिला पार्षद:-
एलोपैथिक चिकित्सा व्यवस्था पूर्णरूप से कारगर नहीं होती. इस परिपेक्ष्य में आयुर्वेदिक इलाज पद्धति ही उपयुक्त होता है. विगत दिनों हुई जिला परिषद की बैठक में वे इस अस्पताल की अद्यतन स्थिति का मुद्दा रखा था.उन्होंने इस औषधालय को जीवंत कराए जाने का प्रस्ताव जिला परिषद की बैठक में रखा है, जल्द ही इस मामले में कोई न कोई रास्ता निकाला जायेगा.
पंकज कुमार शर्मा, जिला परिषद सदस्य, खोदावन्दपुर, बेगूसराय.