खोदावंदपुर/बेगूसराय। खोदावन्दपुर प्रखंड क्षेत्र के उत्क्रमित मध्य विद्यालय मेघौल कन्या में वर्गकक्ष के अभाव में बच्चों व शिक्षकों को काफी परेशानी झेलनी पड़ती है. यह विद्यालय गायत्री मंदिर परिसर में वर्षों से संचालित हो रही है. इस विद्यालय के स्थापना काल से ही अबतक अपनी जमीन नहीं है. सन् 1957 के दशक में स्थापित इस विद्यालय का संचालन स्थान खानाबदोश की तरह बदलता रहा है. इस विद्यालय में मात्र दो कमरे हैं, यहां वर्ग प्रथम से वर्ग अष्टम तक की पढ़ाई की सुविधा है. इस विद्यालय में 260 बच्चे नामांकित हैं, जबकि यहां कुल 10 शिक्षकों का पदस्थापन है. जिसमें 6 शिक्षिकाएं एवं 4 शिक्षक शामिल हैं.प्राप्त जानकारी के अनुसार सन् 1957 के दशक में स्थापित किए गए लोअर प्राइमरी कन्या पाठशाला को वर्ष 2011 के दशक में उत्क्रमित कर मध्य विद्यालय का दर्जा दिया गया. अपने स्थापना काल में इस विद्यालय को मेघौल गांव में एक निजी दरवाजे पर संचालित किया जाता था, उसके बाद इस विद्यालय का संचालन शहीद राधा जीवन स्मारक स्थल मेघौल में किया जाने लगा.लगभग डेढ़ दशक तक इसी जगह पर विद्यालय का संचालन हुआ, उसके बाद विद्यालय की तत्कालीन प्रधानाध्यापिका संध्या कुमारी के द्वारा अपनी निजी फूस की झोपड़ी में इसका संचालन किया गया.तत्कालीन प्रधानाध्यापिका की सेवानिवृति के बाद इस विद्यालय का संचालन मेघौल गांव के पश्चिमी टोला स्थित एक ठाकुरवाड़ी परिसर में किया जाने लगा, जहां वर्तमान समय में इस विद्यालय का संचालन किया जा रहा है. विद्यालय के दो कमरों में से एक कमरे में कार्यालय एवं दो वर्गों की कक्षा संचालित की जा रही है, जबकि दूसरे कमरे में दो वर्गों का संचालन होता है. इसके बरामदे पर भी दो वर्ग चलाया जा रहा है, जबकि बगल के गायत्री मंदिर परिसर में दो वर्गों की पठन-पाठन व्यवस्था की जा रही है. विद्यालय की प्रभारी प्रधानाध्यापिका इंद्राणी कुमारी एवं सहायक शिक्षक अवनीश कुमार वर्मा ने बताया कि वर्ग कक्ष के सर्वथा अभाव के कारण एक कमरे में कई वर्गों की पढ़ाई होने से पठन पाठन व्यवस्था प्रभावित होती है. विद्यालय भवन बनवाने के लिए जमीन की व्यवस्था की मांग जन- प्रतिनिधियों और विभागीय अधिकारियों से कई बार की जा चुकी है, परन्तु इस समस्या का निराकरण अबतक नहीं किया गया है, जिससे छात्र-छात्राओं व शिक्षकों को काफी परेशानी झेलनी पड़ती है.
कहते हैं पंचायत के मुखिया-
यह विद्यालय वर्षों से भूमिहीन है, जिसके चलते गांव के ही गायत्री मंदिर परिसर में विद्यालय संचालित की जा रही है.भूमिहीन व भवनहीन के कारण यहां बच्चों एवं शिक्षकों को भी काफी परेशानी होती रहती है. बच्चों व शिक्षकों की समस्या को देखते हुए विद्यालय की अपनी जमीन के बारे में सार्थक प्रयास किया जा रहा है, जल्द ही इस विद्यालय को अपना जमीन उपलब्ध करवा दिया जायेगा.
पुरुषोत्तम सिंह, मुखिया, मेघौल.