खोदावंदपुर/बेगूसराय। हर जाति में मृत्यु भोज किया जाता है, अमीर हो या गरीब. अमीर लोग तो सक्ष्म हैं, लेकिन गरीब लोग भोज के कारण कर्ज में डूब जाते हैं. और बच्चे शिक्षा से दूर रह जाते हैं.यह बातें अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व सदस्य सह साइंस फॉर सोसाइटी पटना के भंते बुद्ध प्रकाश ने कहीं. वे शुक्रवार को फफौत गांव के सेवानिवृत्त शिक्षक राजेन्द्र महतो के दरवाजे पर अंधविश्वास भगाओ, देश बचाओ जागरूकता अभियान के तहत आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे.उन्होंने कहा लीक से हटकर चलने के लिए हौसले और साहस की जरूरत पड़ती है. धारा के साथ तो कोई भी चल सकता है. ऐसे क्रांतिकारी मार्क्सवादी विचारक आईपीएस कमांडेंट सुधीर कुमार सिंह जो बेगूसराय में कुछ वर्ष पूर्व कार्यरत थे, जो भूमिहार जाति के थे. उनको मैं भूमिहार नहीं मानता हूँ, बल्कि समाज सुधारक मानता हूँ. प्रकृति ने तो इन्सान बनाया, लेकिन अंधविश्वासी लोगों ने जाति पांति बनाया. उन्होंने बताया कि कमांडेंट साहब ने अपने पिता के मृत्यु उपरांत गला में उतरी नहीं लिया और मुण्डन भी नहीं करवाया. तेरहवीं वगैरह कुछ नहीं, बल्कि 15वॉ दिन शोकसभा का आयोजन किया. जिसमें सैकड़ों जरुरतमंदों के बीच एक-एक कंबल का वितरण किया गया. और लोगों को भोज नहीं खिलाये. इन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि मैं आईपीएस ऑफिसर हूँ. किसी मैट्रिक पास ब्राह्मण का पैर नहीं पूज सकता हूँ. भंते बुद्ध प्रकाश ने कहा कि यदि आप अपने दिमाग से अंधविश्वास पाखंड को खत्म करना चाहते हैं तो पंडित राहुल, सांकृत्यायन की पुस्तक तुम्हारी क्षय पुस्तक पढ़ें. अज्ञान का नाम भगवान है, खट्ट काका, हरिमोहन झा की पुस्तकें पढ़ें. डॉ कामेश्वर शर्मा श्राद्ध का पाखंड पढ़े थे. ये सभी ब्राह्मण ही थे, जो ब्राह्मणवाद का विरोध किये थे. उन्होंने कहा कि श्राद्ध कर्म का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है. बोधगया में 15 दोनों का पितृपक्ष मेला चल रहा है. इसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है. यह सब कर्मकांड्यों, पाखंडियों का डर का दुकान है. भंते ने कहा कि खोदावन्दपुर प्रखंड क्षेत्र के प्रत्येक गांव के टोले मुहल्लों में भोज निषेध अधिनियम 1960 धारा के संबंध में ग्रामीणों को लगातार जागरूक किया जा रहा है. इस मौके पर आगत अतिथियों द्वारा भगवान बुद्ध की प्रतिमा का अनावरण भी किया गया. कार्यक्रम में आनंद मार्गी डॉ राम स्वार्थ देव, सेवानिवृत्त शिक्षक राजेन्द्र महतो, नरहन के टुनटुन निशाकर, श्यामाकांत प्रसाद सिंह, समाजसेवी अशोक महतो, जय जयराम महतो, राजेश कुमार, चलकी के प्रमोद कुमार सहित अनेक ग्रामीण शामिल थे.