खोदावंदपुर: दातव्य औषधालय मेघौल का मिट गया अस्तित्व

खोदावंदपुर/बेगूसराय। कभी आयुर्वेदिक तरीके से इलाज के मामले में प्रसिद्ध आयुर्वेदिक औषधालय का अस्तित्व समाप्त होने के कगार पर है. इसकी खंडहर भवन अपने पुराने इतिहास को याद दिला रहा है. अनुमंडल क्षेत्र का इकलौता दातव्य औषधालय आज अपने उद्धारक की बाट जोह रहा है. इसकी भूमि व परिसर को आजू बाजू के लोगों ने अतिक्रमण भी कर लिया है. अगर यही हालात रहा तो गांव के नक्शे से इस अस्पताल का अस्तित्व विलुप्त हो जायेगा. बताते चलें कि जिला परिषद दातव्य अस्पताल मेघौल की स्थापना सन 1905 में की गयी थी. इस अस्पताल में आयुर्वेद दवाओं के जरिये मरीजों का इलाज किया जाता था. दूर दराज के लोग यहां अपना इलाज करवाने आते थे. यहां असाध्य रोगों का भी इलाज होता था.इस अस्पताल में रहते थे वैद्य, मिली जानकारी के अनुसार तत्कालीन जिला परिषद के सौजन्य से इस अस्पताल में दवाओं की आपूर्ति की जाती थी. साथ ही जिला परिषद के सौजन्य से ही उपस्कर की व्यवस्था भी की जाती थी. तीन दशक पहले तक यहां चिकित्सा व्यवस्था सुचारू रूप से चल रही थी.यहां पदस्थापित वैद्य रामानन्द सिंह की सेवानिवृति के बाद चिकित्सा व्यवस्था गड़बड़ा गयी. देखरेख के अभाव में इसके कीमती फर्नीचर और संचिकाएं दीमक की भेंट चढ़ गयी.अस्पताल का भवन भी खंडहर के रूप में तब्दील हो गया.एक दशक पहले इसके जर्जर भवन की मरम्मती पंचायत कोष से करवायी गगयी.अब यह अस्पताल अपने उद्धारक की बाट जोह रहा है. क्षेत्र के शिक्षाविद डॉ अवधेश कुमार उर्फ ललन, सेवानिवृत्त शिक्षक चंद्रशेखर चौधरी, डॉ ताराकांत मिश्र, पंचायत के मुखिया पुरुषोत्तम सिंह, पूर्व मुखिया अनिल प्रसाद सिंह, बिमलेश प्रसाद सिंह, पूर्व पंसस अश्वनी प्रसाद सिंह समेत कई लोगों ने इस अस्पताल को पुनर्जीवित करने की मांग जिला प्रशासन से की है, ताकि एलोपैथिक विधि से हो रहे इलाज के अंधानुकरण को रोका जा सके तथा पुरातन आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति के माध्यम रोगियों का इलाज किया जा सकें.