खोदावन्दपुर: शिक्षक कभी सेवानिवृत्त नहीं होते, उनकी कृति हमेशा बनी रहती- बीडीओ, उत्क्रमित मध्य विद्यालय प्रखंड कॉलोनी में विदाई सह सम्मान समारोह का आयोजन*

खोदावंदपुर/बेगूसराय. शिक्षक कभी सेवानिवृत्त नहीं होते, उनकी कृति हमेशा बनी रहती है. उपर्युक्त बातें बीडीओ राघवेंद्र कुमार ने शनिवार को उत्क्रमित मध्य विद्यालय प्रखंड कॉलोनी खोदावंदपुर परिसर में शिक्षक सुरेश प्रसाद महतो के सम्मान में आयोजित विदाई समारोह को संबोधित करते हुए कहीं. उन्होंने कहा कि जिस तत्परता से आप अपने कार्यकाल के दौरान बच्चों के बीच शिक्षा का अलख जगाने का काम किये हैं. अब सरकारी दायित्वों से अलग हो रहे हैं तो आप अब खुले दिल से आगे भी बच्चों में ज्ञान की गंगा बहाते रहें. यही कामना करता हूँ. वहीं बीईओ दानी राय ने कहा कि शिक्षक समाज के दर्पण होते हैं. और वह बच्चों का भविष्य निर्माता होते हैं. उन्होंने सेवानिवृत होने वाले शिक्षक सुरेश प्रसाद महतो के क्रियाकलापों की प्रशंसा करते हुए अन्य शिक्षकों को भी उनके रास्ते पर चलने की अपील की. इस मौके पर सेवानिवृत्त होनेवाले शिक्षक सुरेश प्रसाद महतो ने कहा कि आप देर सवेर सेवा में आ सकते हैं, लेकिन जाना एक निश्चित समय पर ही होता है. वो दिन 31 दिसंबर है, जिसे मैने आज पूरा कर लिया हूँ. मैने अपने कार्यकाल के दौरान प्रशासन, समाज, विद्यालय व्यवस्था की ओर से काफी उतार चढ़ाव देखें, लेकिन किसी भी कार्य के प्रति कर्तव्यनिष्ठ हैं तो किसी भी प्रकार की कोई परेशानी नहीं होगी. उन्होंने इस कार्यक्रम में शामिल होनेवाले सभी आगन्तुकों के प्रति आभार प्रकट किया.आयोजित समारोह को डीडीओ सह प्रधानाध्यापक मोहम्मद मुनीब आलम, पूर्व मुखिया राम पदारथ महतो, शिक्षक राजेश कुमार समेत अन्य ने भी अपना अपना उदगार व्यक्त किया. आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता विद्यालय की प्रभारी प्रधानाध्यापिका मंजू कुमारी ने की, जबकि मंच संचालन शिक्षक पवन कुमार ने किया. मौके पर अंचलाधिकारी अमरनाथ चौधरी, विद्यालय शिक्षा समिति के अध्यक्ष सुरेन्द्र शर्मा, सरपंच प्रतिनिधि धर्मेन्द्र कुमार, सेवानिवृत्त शिक्षक मिथिलेश चन्द्र झा, विद्यानंद महतो, मानवेंद्र सिंह, शिक्षक सुधांशु कुमार, मोहम्मद जियाउल हक, कुमारी हेमलता, अभिलाषा कुमारी, कुमारी अंजली समेत अनेक अभिभावक व बच्चे मौजूद थे. वहीं सेवानिवृत होने वाले शिक्षक सुरेश प्रसाद महतो को विद्यालय परिवार ओर से अंग वस्त्रम, चादर, रामायण की पुस्तक व माला से सम्मानित किया गया.