खोदावंदपुर के लाल राम उदय महतो की शहादत को याद कर रहे लोग

राजेश कुमार,खोदावंदपुर/बेगूसराय. खोदावंदपुर पंचायत के बजही गांव के लाल राम उदय महतो की शहादत को कभी भी भुलाया नहीं जा सकता. झारखंड के गुमला जिला के रायडिह थाना में एएसआई के पद पर तैनात राम उदय महतो 21 जुलाई 2007 को नक्सली हिंसा का शिकार होकर शहीद हो गये थे. इस शहीद के परिवार को 17 साल बाद भी अनुकंपा एवं ऐरियर में छठे वेतनमान के लाभ मिलने का इंतजार है, जिसे पूरा करने में झारखंड सरकार अबतक विफल रहा है.जानिए खोदावंदपुर के लाल शहीद राम उदय महतो को-
खोदावंदपुर प्रखंड क्षेत्र के खोदावंदपुर पंचायत अंतर्गत बजही गांव निवासी स्वर्गीय श्रीचंद्र महतो के पुत्र राम उदय महतो का जन्म 12 अक्टूबर 1956 ई. को हुआ था. अपने दो भाइयों में छोटा भाई राम उदय बचपन से ही  मिलनसार प्रवृत्ति का था, जिसे बचपन से ही पुलिस सेवा से जुड़कर देश और समाज की सेवा करने की तमन्ना थी. इनके बड़े भाई राम सागर महतो तत्कालीन अखंड बिहार वायरलेस ऑपरेटर पद पर कार्यरत थे. राम उदय महतो तत्कालीन संयुक्त बिहार पुलिस में नियुक्त हुए थे. बिहार विभाजन के पश्चात राम उदय महतो को झारखंड केडर मिला और इनकी नियुक्ति गुमला जिला के रायडीह थाना में आरक्षी के पद पर हुई.
क्या है पूरा मामला- 
मिली जानकारी के अनुसार 21 जून 2007 को नक्सली संगठन के तत्कालीन एरिया कमांडर सुरेश महतो की गिरफ्तारी की गयी थी. इस दुर्दांत एरिया कमांडर को मंडल कारा गुमला पहुंचाने की कमान थानाध्यक्ष द्वारा राम उदय महतो एवं थाना के एसआई कृष्टोफर मिंज को दिया गया था. पुलिस जीप से एसआई के नेतृत्व में राम उदय महतो उक्त एरिया कमांडर को न्यायालय में उपस्थापित करने के लिए चले थे. न्यायालय में उपस्थापन के पश्चात जब इस नक्सली कमांडर को गुमला मंडलकारा ले जाया जा रहा था, तभी रास्ते में घात लगाये नक्सलियों ने एक पुल पर विस्फोट कर पुलिस वाहन को परखच्चे उड़ा दिया और जमकर बमबारी एवं गोलीबारी किया. इस घटना में  राम उदय महतो के साथ-साथ उनके सहकर्मी एसआई भी शहीद हो गये. इस घटना में नक्सली अपने साथी एरिया कमांडर सुरेश महतो को भगा ले जाने में कामयाब रहे.
इस घटना की जानकारी मिलते ही बजही गांव में मातम छा गया-
नक्सली वारदात में राम उदय महतो के शहादत की खबर सूनकर उनकी पत्नी प्रतिभा देवी, पुत्र मनीष कुमार, रजनीश कुमार एवं पुत्री रेणु कुमारी, रिंकी कुमारी के साथ उनके भाई राम सागर महतो के सारे अरमान चूर-चूर हो गये. इस परिवार पर विपत्तियों का पहाड़ टूट पड़ा. घटना के तीसरे दिन शहीद राम उदय महतो का शव खोदावंदपुर लाया गया, जहां तत्कालीन विधायक अनिल चौधरी, थानाध्यक्ष भगवान प्रसाद गुप्ता, मुखिया कृष्णदेव चौधरी सहित सैकड़ों लोगों ने शहीद के पार्थिव शरीर पर माल्यार्पण कर अपनी श्रद्धांजलि दी. शहीद राम उदय महतो की शवयात्रा में लोगों ने गगन भेदी नारे लगाये.
नहीं मिला अनुकंपा व ऐरियर में छठे वेतनमान का लाभ-
जवानों की शहादत पर सरकार और विभाग आश्वासन का चाहे जितना भी मरहम लगा ले, परंतु सच्चाई तो इसे कोसों दूर है. इस शहीद के परिजनों का कहना है कि आज तक सरकार द्वारा दिये जाने वाला अनुकंपा का लाभ उन्हें नहीं मिला. शहादत के 17 वर्ष बाद भी उनकी विधवा को मिलने वाले ऐरियर में अब तक छठे वेतनमान का लाभ झारखंड सरकार द्वारा नहीं दिया गया है, जबकि वर्तमान में सातवां वेतनमान लागू हो गया है. इस मामले में शहीद के पुत्र मनीष कुमार ने बताया कि दर्जनों बार झारखंड जाकर विभाग से फरियाद किया गया, लेकिन भ्रष्ट सिस्टम में पिता के शहीद होने के बाद भी ना तो हमें अनुकंपा पर नौकरी मिली है और ना ही ऐरियर में सातवां वेतनमान कौन कहे, छठे वेतनमान का लाभ भी नहीं दिया गया है. यह शहीद का अपमान नहीं तो और क्या है. उन्होंने सरकार और विभाग से अविलंब शहीद के पुत्रवधू को नियम के अनुसार अनुकंपा का लाभ देने तथा शहीद की विधवा को विधिसम्मत ऐरियर का लाभ देने की मांग की है.
जरा इनकी सुनिए-
इस मामले में खोदावंदपुर के पूर्व जिला पार्षद सह कॉग्रेस कमिटी के पूर्व जिलाध्यक्ष अर्जुन सिंह ने राम उदय के शहादत पर गर्व करते हुए कहा कि देश का हर नौजवान अपने मादरे-वतन की हिफाजत एवं समाज की सेवा में अपनी शहादत देने के लिए तत्पर हैं. हमें अपने शहीदों पर गर्व है पर अफसोस है कि सरकार के सिस्टम पर जो शहादत के समय शहीद के परिजनों को हरसंभव मदद का आश्वासन तो दिया जाता है, लेकिन उनका आश्वासन तंत्र के भ्रष्टाचार में दबकर गुम हो जाता है. यह बड़ा ही अफसोस और चिंता की बात है. हम झारखंड सरकार से निवेदन करते हैं शहादत के मामले में उनके परिजनों को मिलने वाली हर सुविधा बिना विलंब किये त्वरित उपलब्ध कराया जाए, ताकि उनके परिवार की परिजनों को जीवन यापन में कोई असुविधा नहीं हो और शहादत पर देश का कोई भी शहीद परिवार अपने को असहज महसूस नहीं करें. इस मामले में शहीद के परिजनों को बिहार सरकार ने सांत्वना भी देना मुनासिब नहीं समझें.