नागाधाम तारा बरियारपुर में श्री श्रीचंद्रचार्य की जयंती आज, तैयारी पूरी

खोदावंदपुर/बेगूसराय। उदासीन संप्रदाय के विस्तारक, चमत्कारी योगी, सनातन हिंदू रक्षक, सभी संप्रदायों के मध्य समन्वय स्थापक, महामनिषी गुरुनानक पुत्र, गुरु अविनाशी शिष्य श्री श्रीचंद्र की आज भाद्रपद शुक्ल नवमी तिथि गुरुवार को पांच सौ तीसवीं जयंती मनायी जायेगी. इनका जन्म संवत १५५१ में लाहौर के तलमंडी नामक स्थान पर गुरुनानक के घर माता सुलक्षणा की गोद में हुआ. इनके दो बड़े ऋण हमारे समाज पर है, प्रथम- आज सभी सनातनी संप्रदायों के बीच जो सामंजस्य दिखता है, ये इन्हीं महापुरुष की देन है. द्वितीय- मुगलों म्लेच्छों के विधर्म के खिलाफ हिंदुओं में साहस शौर्य भरना, यदि मध्यकाल में ये दोनों महाकार्य नहीं हुए होते तो हमलोग आज हिंदू न होते. ये बातें नागाधाम, तारा बरियारपुर के महंत स्वामी धर्मदास जी महाराज ने कहीं. उन्होंने कहा कि भद्रशुक्ल नवमी तिथि को उनकी जयंती हर हिंदू को मनानी चाहिए, ताकि आचार्य श्री का ऋण कुछ अंशों में तो उतरे. उनका व्यक्तित्व इतना महान था कि हमलोग उन्हें श्रद्धावश श्रीचंद्र भगवान कहते हैं. वे ईश्वराकार योगी संत थे. प्रेम से बोलिए श्रीचंद्र भगवान की जय. नागाधाम में श्रीचंद्र आचार्य की जयंती गत वर्षों की भांति इस वर्ष भी धूमधाम से मनायी जा रही है. एक दिन पहले से ही आश्रम में खूब चहल पहल है. गुरुवार को प्रातः काल ही ध्वजा परिवर्तन, पूजन हवन, उद्बोधन तथा गुरुदीक्षा के कार्यक्रम आयोजित किये जायेगें. दस बजे से सामूहिक सुंदरकांड का संगीतमय पाठ किया जायेगा. एक बजे दोपहर से विचार गोष्ठी होगी, जिसमें अनेकानेक संत महंत, विद्वान मनीषी भाग ले रहे हैं. लोकभारती, आरोग्य भारती, सेवाभारती, स्वास्थ्य आंदोलन, डिवाइन मिशन आदि अनेक संस्थाएं भाग लेकर कार्यक्रमों में चार चांद लगा रहे हैं.