खोदावंदपुर/बेगूसराय। अंधविश्वास में नहीं बल्कि विज्ञान में विश्वास करें. यह बातें अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व सदस्य सह साईंस फॉर सोसाइटी पटना के भंते बुद्ध प्रकाश ने कहीं. वे बरियारपुर पश्चिमी गांव में सोमवार को अंधविश्वास भगाओ देश बचाओ के बैनर तले आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि राजाराम मोहन राय ने सतीप्रथा जैसी कुप्रथा को समाप्त किया. उसी प्रकार भंते बुद्ध प्रकाश ने मृत्यु भोज कुप्रथा को समाप्त करने का एक अभियान चलाने का संकल्प लिया है. जिसे गांव के टोले मुहल्ले में भ्रमण कर लोगों को जागरूक करना है. उन्होंने कहा कि जब इंसान मर जाता है तो उसे चाहे आग में जला दें या मिट्टी में गाड़ दें. उसके बाद उसका कोई अस्तित्व नहीं बचता है. यह भौतिक शरीर पंचतत्व में विलीन हो जाता है. हवा, आर्गुन, धरती में समाहित हो जाता है.इसके बाद किसी भी प्रकार की क्रियाक्रम या श्राद्धकर्म करने की कोई जरूरत नहीं है. बल्कि मृतक परिवार का शोषण दोहन होता है. भंते बुद्ध प्रकाश ने कहा कि मृतक भोज अभिशाप है. यह समाज की वह कुरिति है, जिसको पाखंडियों, कर्मकांडियों ने अपना पेट भरने के लिए ऐसा संस्कार, रितिवाज, एक ऐसा प्रथा जिसके वजह से एक तो परिवार को दुख पृष्टा है. किसी की मृत्यु हुई है ये पाखंडी लोग श्राद्ध के नाम पर हजारों रुपये का दान दक्षिणा लेकर घर चले जाते हैं और कहते हैं तुम्हारे मृत व्यक्ति को स्वर्ग में भेज दिया गया है. उन्होंने कहा कि इस अंधविश्वास प्रथा को इतना समाज में फैला दिया गया है कि अमीर हो या गरीब, हर इंसान मृतक भोज करता है. यह एक समाजिक बुराई है, इसके लिए सरकार ने कानून भी बनाये हैं. मृत्यु भोज अधिनियम 1960 के तहत कई प्रकार की धाराएं बनी हुई है. इस धारा के तहत जेल व जुर्माना दोनों है. अशिक्षा के अभाव में और अंधविश्वास के कारण यह प्रथा पूरे देश में फैल चुका है. इसे दूर करने के लिए जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है. कार्यक्रम को पूर्व जिला पार्षद अरविंद कुमार, डॉ राम स्वार्थ देव, सेवानिवृत्त शिक्षक राजेन्द्र महतो, गायत्री परिवार के जवाहर महतो, रामकृष्ण, जय जयराम महतो, गणेशी महतो, राम शंकर महतो, भोलन दास, प्रमोद कुमार साथी सहित अनेक लोग मौजूद थे.