राजेश कुमार:खोदावंदपुर/बेगूसराय. 24 अगस्त 1942 ईस्वी को स्वतंत्रता आंंदोलन के दौरान अंग्रेजों की गोलियों से शहीद हुए थे खोदावंदपुर प्रखंड क्षेत्र के मेघौल गांव निवासी राधा प्रसाद सिंह और राम जीवन झा कृतज्ञ राष्ट्र अपने लाडले दोनों शहीदों को विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता है. आज अपने दोनों लाडले के शहादत पर मेघौल गौरवान्वित महसूस कर रहा है. मेघौल ही क्यों, माँ भारती के आरती में अपनी शहादत देने पर अपने ऐसे तमाम सपूतों पर पूरे भारतवर्ष को गर्व है.
शहादत की दास्तान-
स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान भारतवर्ष अंग्रेजों के गुलामी की जंजीर में जकड़ा था. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी एवं अन्य नेताओं के नेतृत्व में भारत स्वतंत्रता आंंदोलन परवान पर था. सन 1942 में गांधी जी ने पूर्ण स्वराज का नारा दिया और देशवाशियों से इस आंदोलन को सफल बनाने का आह्वान किया. देश इसे 42 के अगस्त क्रांति के नाम से जानती है.अगस्त क्रांति के दौरान ही 21 अगस्त 1942 ईस्वी को मेघौल गांव के आंदोलनकरी स्वर्गीय गणेश दत्त शर्मा, कैलाशपति सिंह बिहारी, बलदेव प्रसाद सिंह, जिले के प्रख्यात अधिवक्ता रहें रामाधीन प्रसाद सिंह, हर्षित नारायण सिंह, बिंदेश्वरी मिश्र, लक्ष्मीकांत झा आचार्य, रामेश्वर चौधरी, रामपदारथ सिंह के नेतृत्व में आंदोलन-कारियों का जत्था तत्कालीन चेरिया बरियारपुर थाना पहुंचकर बगावत का बिगुल फूक दिया था. इसके कारण वहां के पुलिस कर्मी भाग कर बेगूसराय में शरण लिया था. अगले दिन 22 अगस्त 1942 को इन आंदोलन कारियों का जत्था वर्तमान समस्तीपुर जिला के रोसड़ा थाना पहुंचकर तोड़ फोड़ किया था और वहां के थाना कर्मियों को भी थाना पर से भागने के लिए विवश कर दिया. थाना के बाद आंदोलन कारियों का यह जत्था रोसड़ा रेलवे स्टेशन पर पहुंंचा. स्टेशन भवन में तालाबंदी कर रेल पटरियों एवं टेलीफोन तार को उखाड़ना और तोड़- फोड़ करना शुरू कर दिया. रोसड़ा स्टेशन पर विरोध प्रदर्शन के बाद लौटने के क्रम में रोसड़ा डाकघर में तोड़-फोड़ करते हुए आंदोलन कारियों का यह जत्था नीलकोठी दौलतपुर पहुंचा. दौलतपुर कोठी के अंग्रेज कोठीवाल सी जी एटकिन्स की अनुपस्थिति में उनकी मेम साहिब को इन आंदोलन कारियों ने जबरन खादी का साड़ी पहना दिया और सिर पर गांधी टोपी पहनने को मजबूर कर दिया. तथा वहांं कोठी पर तिरंगा फहरा दिया. इस घटना से आक्रोशित कोठी वार्ड सीजी एटकिंसन अगले दिन 24 अगस्त 1942 को अंग्रेजी और बलूच पलटन के साथ समस्तीपुर से मेघौल गांव आ धमका. कोठी वार्ड ने अपने पलटन को आदेश दिया कि पूरे मेघौल गांव में पेट्रोल छिड़ककर आग लगा दो, जो आग बुझाने के लिए प्रयास करे, उसको देखते ही गोल मार दो. सीजी एटकिन्स के आदेश पर अंग्रेजी पलटन ने मेघौल गांव में पेट्रोल छिटकर आग लगाना शुरू कर दिया. लोग घरवार छोड़कर बहियार में छिप गये. मेघौल गांंव धू- धूकर जलने लगा. इस दौरान सीजी एटकिन्स ने आंदोलन-कारियों के नेता कैलाशपति सिंह बिहारी को खोजते उनके घर पहुंंच गया. वहां मौजूद उनके छोटे भाई राधा प्रसाद सिंह को पकड़कर उनसे कैलाशपति सिंह बिहारी के बारे में पूछा. कुछ भी बताने से इनकार करने पर अंग्रेजी पलटन ने राधा प्रसाद सिंह को जूतों के बुटों, कोड़ों और संगिनों से मारकर लहू लुहान कर दिया.उसके बाद कोठी वार्ड सीजी एटीन्स के आदेश पर उन्हें गोली मार दिया गया. जिससे राधा प्रसाद सिंह शहीद हो गये. इसी दौरान एक घर के छप्पर में लगी आग को बुझा रहे गांव के ही एक भांजा रामजीवन झा को भी गोरी पलटन ने गोली मार दी, जिससे वह गंभीर रूप से जख्मी हो गये थे. राम जीवन झा को इलाज के लिए लोगों ने बेगूसराय पहुंंचाया, जहांं इलाज नहीं होने के कारण वह भी शहीद हो गये. उनका दाह संस्कार भी मटिहानी प्रखंड के रामदीरी गांव में गंगा नदी के तट पर किया गया. इस शव यात्रा में बेगूसराय जिले के प्रख्यात स्वतंत्रता सेनानी सरयुग प्रसाद सिंह, छट्ठू सिंह, रामाधीन सिंह सहित इलाके के हजारों लोगों ने इन वीर शहीदों के शव पर तिरंगा देकर अपनी अंतिम विदाई दी थी. इतना ही नहीं अंग्रेजी पलटन ने मेघौल गांव निवासी गंगा साह की 11 वर्षीय फुआ रामवती देवी को गोली मार दिया, जिससे वह घायल हो गयी.
स्वतंत्रता आंंदोलन तीर्थ स्थल व क्रांति वीरों का प्रेरणा केंद्र बना मेघौल-
स्वतंत्रता संग्राम में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली सर्वस्व निछावर करने वाले शहीद राधा प्रसाद सिंह और रामजीवन झा की स्मृति में ग्रमीणों ने शहीद राधाजीवन स्मारक बनवाया.जहांं प्रख्यात समाजवादी नेता लोक नायक जय प्रकाश नारायण ने अपनी पत्नी प्रभावती देवी के साथ मेघौल शहीद स्मारक पर अपना शीश झुकाया और यहां कि मिट्टी का तिलक अपने माथे से लगाकर अपना अहो भाग्य समझा. बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री बिहार केसरी डॉ श्री कृष्ण सिंह, प्रख्यात समाजवाद के जनक डॉ राम मनोहर लोहिया, प्रसिद्ध समाजवादी नेता राम चरित्र प्रसाद सिंह, कॉमरेड चंद्रशेखर सिंह जैसे दर्जनों नेताओं और स्वतंत्रता सेनानियों ने मेघौल की धरती पर आकर उन शहीदों के चरणों में अपना शीश झुकाया और राष्ट्र प्रेम और देश की सेवा का प्रेरणा ग्रहण किया. आज भी यह शहादत स्थल युवाओं का प्रेरणा स्रोत है.इलाके में होने वाला हर राष्ट्रीय एवं राजनीतिक कार्यक्रम में आनेवाले अतिथि मेघौल के इस शहिदवेदी पर पुष्पांजलि अर्पित करने व तिरंगा को सैलूट करने के बाद ही कार्यक्रम की शुरूआत करते हैं.
शहीद का परिवार-
शहीद राधा प्रसाद सिंह के शहादत के वक्त इनकी पत्नी तीन माह की गर्भवती थी. शहादत के छह माह बाद इनकी पत्नी ने एक पुत्र को जन्म दिया, जिसके नाम शहीद रखा गया. शहीद प्रसाद सिंह इस समय खगड़िया जिला मुख्यालय स्थित जयप्रकाश नगर में रहते हैं. खगड़िया जिला में सामाजिक और राजनीतिक कार्यकर्ता के रूप में इनकी पहचान है. इनके परिवार में पत्नी के अलावे दो पुत्र, पुत्री एवं पोता- पोती से भरा परिवार है, जबकि रामजीवन झा दरभंगा जिले के पोखराम गांव के रहने वाले थे. मेघौल में अपने मामा स्व पंडित दारगेश्वर मिश्र के यहांं स्थायी तौर पर रहते थे, जो शहीद हो गये. इनके पैतृक गांंव दरभंगा के पोखराम में भी इनका स्मारक स्थापित है.
कहते हैं शहीद के परिजन-
शहीद राधा प्रसाद सिंह के परिजनों ने बताया कि अपने पिता के शहादत पर मुझे गर्व है, लेकिन वर्तमान शासन से आक्रोश भी है. जिस उद्देश्य के लिए हमारे पिताजी और इनके सरीखे जिन लोगों ने भी देश के लिए अपनी शहादत दी.वह आज भी अपूर्ण है. हमें राजनीतिक आजादी मिला है, सामाजिक और आर्थिक आजादी अब भी बांकी है. अंग्रेज तो भाग गया, अंग्रेजियत आज भी स्थापित है.देश के युवाओं को एकजुट होकर इंक्लाप बोलने की जरूरत है.
कहते हैं ग्रामीण-
अवकाश प्राप्त प्रधानाध्यापक एवं पूर्व साहित्यकार चंद्रशेखर चौधरी, राजेन्द्र केंद्रीय विश्वविद्यालय के अवकाश प्राप्त हिंदी के पूर्व विभागाध्यक्ष व साहित्यकार डॉ अवधेश कुमार ललन, मेघौल पंचायत के मुखिया पुरुषोत्तम सिंह, सरपंच उषा कुमारी, पूर्व मुखिया अनिल प्रसाद सिंह, समाजसेवी शैलेन्द्र ठाकुर उर्फ स्वामीनाथ, सिद्धार्थ शंकर शर्मा, मोहन प्रसाद सिंह, श्याम किशोर प्रसाद सिंह, सुनील कुमार सिंह, केदारनाथ सिंह सहित दर्जनों लोगों ने बताया कि अपने गांव के लाल अमर सेनानियों के शहादत पर हमें गर्व है. यह शहीद स्मारक युवाओं को देश के लिए मर मिटने की प्रेरणा देती है. प्रत्येक वर्ष 24 अगस्त को स्मारक स्थल मेघौल पंचायत भवन पर शहादत दिवस आयोजित कर हम अपने शहीदों को याद करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं.